पारंपरिक कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों में खास तौर पर डोकरा आर्ट में आदिवासी, गणेश भगवान की प्रतिमा, नंदी बैल, गाय बछड़ा के साथ कई तरह की कलाकृतियां है। हस्तशिल्प बोर्ड के किशुन मिंज ने बताया कि यह प्रदर्शनी अलग-अलग शहरों में लगाई जाती है ताकि लोग छत्तीसगढ़ की सभ्यता व संस्कृति को समझ सके और लोगों को इन कलाकृतियों का महत्व भी बताया जाता है। यह चलित प्रदर्शनी दो सदस्यों के द्वारा प्रदेश भर में भ्रमण करती है। किशुन मिंज व महजर शान शामिल है।
लौह शिल्प और बेलमेट की वेरायटी : प्रदर्शनी में प्राचीन कलाकृतियां बेलमेट व लौह शिल्प की है। इन कलाकृतियों को हर वर्ग के लोग पसंद करते है। इसमें आदिवासी क्षेत्रों की कलाकृतियां खास तौर पर शामिल की जाती है। लोहे में टोकरा आर्ट व बेल मेट में पारंपरिक नंदी बैल, गाय बछड़ा, कछुआ, गणेश भगवान की मूर्ति, राधाकृष्ण की मूर्तियां शामिल की जाती है।
14 तक रहेगी शहर में : यह चलित प्रदर्शनी साल भर प्रदेश के अलग-अलग जिले व शहरों में जाती है। जहां पर दो दिन से सप्ताह भर रूकती है। इस बार यहां पर 14 अक्टूबर तक रहेगी। इसमें प्रदर्शनी देखने के साथ ही खरीदारी भी की जा सकती है।