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बिलासपुर

हॉस्पिटल प्रबंधन की ये कैसी दादागिरी, स्मार्ट कार्ड गिरवी रखकर मरीज को छोड़ा, देखें वीडियो

श्रीराम केयर हॉस्पिटल में ग्रामीण मरीज को बंधक बनाए जाने का मामला, बनाया था भारी भरकम बिल, अधूरे में छोड़ दिया इलाज

बिलासपुरJan 24, 2018 / 02:38 pm

Amil Shrivas

Hospital
बिलासपुर . मामला गरमाने पर बंधक मरीज को मंगलवार को श्रीराम केयर से आजाद कर दिया गया। यहां पेंड्रा के एक ग्रामीण के किडनी का इलाज चल रहा था। उससे 1 लाख 80 हजार रुपए लेने के बाद भी उसका पूरा इलाज नहीं हो सका। परिजनों ने और पैसे देने पर असमर्थतता जताते हुए छुट्टी करने कहा, तो डॉक्टर ने उन्हें और 60 रुपए का बिल थमा दिया। बिना भुगतान के अस्पताल से बाहर जाने पर पाबंदी लगाते हुए मरीज को बंधक बना लिया था। उसकी निगरानी के लिए दो गार्ड तैनात कर दिए थे। खबर मिलने पर जब पत्रिका ने इस मुद्दे को उठाते हुए 23 जनवरी के अंक में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की, तो बंधक मरीज को मंगलवार को अस्पताल से रिहाई मिल सकी। हालांकि अस्पताल प्रबंधन अब भी बाज नहीं आया। अब मरीज का बेड हेड टिकट व स्मार्ट कार्ड गिरवी रख लिया गया है। पेंड्रा ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य गांव अड़भार निवासी जनकराम पिता गणेशराम भारिया को किडनी के इलाज के लिए 13 जनवरी को नेहरू नगर अमेरी रोड स्थित श्रीराम केयर हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। मरीज के साथ उसके पिता गणेश राम, मां व पत्नी भी आए थे। मरीज जनकराम ने बताया कि उस समय उसके पिता ने अस्पताल के काउंटर में 10 हजार रुपए जमा कराए। तब जाकर उसे आईसीयू में भर्ती किया गया।
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इसके बाद डॉक्टर ने दवाएं लिखीं। पिता ने आधी दवाएं लीं और नर्स को दिया। उन्हें बताया गया कि मरीज की किडनी खराब है। इसलिए डायलिसिस करना पड़ेेगा। अस्पताल में उसी दिन डायलिसिस किया गया, दूसरे दिन फिर से दवाइयों की पर्ची थमा दी गई। यह दवा करीब 10 हजार रुपए की थी। पैसे खत्म होने के कारण अस्पताल परिसर में स्थित मेडिकल स्टोर से दवाइयां नहीं मिल सकीं। मरीज के पिता ने गांव से अपने छोटे बेटे से पैसे मंगवाए। 8 हजार रुपए की दवाइयां खरीदीं। इसके बाद फिर डायलिसिस किया गया। दो दिन में 33 हजार रुपए खर्च होने के बाद भी मरीज की तबीयत में किसी तरह का सुधार नहीं हुआ। इधर अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के स्मार्ट कार्ड को भी रख लिया, कहा कि और पैसे जमा करने पड़ेंगे। पिता ने कुछ रकम जमा की तो फिर दवा की पर्ची थमा दी गई। इस तरह से तीन दिन के इलाज में करीब 75 हजार रुपए खर्च हो गए। अब पिता के पैसे नहीं बचे थे। पिता गणेशराम का आरोप है कि पैसे खत्म होने पर मैंने मरीज को छुट्टी देने के लिए कहा। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने सोमवार की दोपहर करीब 3 बजे आईसीयू से उसके बेटे को बाहर निकाल दिया और 60 हजार रुपए का बिल थमा दिया। रकम नहीं होने की बात कहने पर दो गार्ड को तैनात कर कहा गया कि जब तक बिल जमा नहीं किया जाएगा, तब तक मरीज को यहां से जाने नहीं दिया जाएगा। अपने मरीज बेटे को अस्पताल में छोड़कर पिता गांव गया और घर में जितना धान था, उसे 15 हजार रुपए में बेचा। यहां आकर उसने यह रकम जमा की, तब जाकर उसके बेटे को अस्पताल से मुक्त किया गया।
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अब कृष्णा हॉस्पिटल में चल रहा इलाज : श्रीराम केयर से आजाद होने के बाद परिजन मरीज को लेकर मंगलवार को मंगला चौक स्थित कृष्णा अस्पताल पहुंचे। यहां उसे भर्ती कर डायलिसिस किया जा रहा है। कृष्णा अस्पताल के एक स्टाफ ने बताया एक सप्ताह में तीन दिन तक डायलिसिस करना पड़ेगा।
कृष्णा हास्पिटल में मात्र 3 हजार रुपए लगे : पिता गणेश राम ने बताया कि श्रीराम केयर की तरह कृष्णा हास्पिटल में भी इलाज किया जा रहा है। यहां भी वही मशीनें हैं। दवाइयां भी खरीद रहे हैं। लेकिन ज्यादा खरीदनी नहीं पड़ रही हैं। लेकिन अब तक मात्र 3 हजार रुपए ही खर्च हुए हैं। जबकि श्रीराम केयर में दो दिन में 25 हजार से ज्यादा खर्च हो चुका था।
अब घर में एक दाना धान नहीं : पिता गणेशराम ने बताया कि गांव उसके पास ढाई एकड़ जमीन है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के एवज में उसे करीब 25 हजार रुपए मिले थे। श्रीराम केयर में बेटे के बंधक होने पर उसने घर में रखा सारा धान बेच दिया। अब घर में खाने के लिए एक दाना भी नहीं है।
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