यह पर्व सूर्य देव की आराधना का पर्व है। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद डॉ.उद्धव श्याम केसरी ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व सूर्य देव के उत्तरायण होने का पर्व है। हमेशा यह पर्व १४ जनवरी को मनाया जाता रहा है लेकिन इस बार १५ जनवरी को सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश हो रहा है जिसके कारण १५ जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य देव उत्तरी गोलाद्र्ध की ओर मुड़ जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान कर व्रत कथा दान धर्म एवं भगवान सूर्य देव की उपासना का विधान है।
दिन बढऩा होगा शुरू ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक मकर संक्रांति के साथ ही दिन व रात की तिथि में बदलाव होने लगता है। सूर्य देव के उत्तरायण होते ही दिन की अवधि बढऩे लगेगी और रात की अवधि कम होने लगती है। इस लिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है।
सभी समाज में इसका महत्व मकर संक्रांति के पर्व को हर समाज के लोग धूमधाम से मनाते हैं। कोई लोहड़ी तो कोई पोंगल के रूप में मकर संक्रांति के पर्व को मनाता है। इस दिन घरों में तिल व गुड़ के लड्डुओं के साथ ही खिचड़ी खाने की परंपरा प्रचलित है। वहीं गुजराती समाज में पंतगबाजी कर त्योहार मनाया जाता है।