पुलिस को जानकारी होने के बाद भी वो इन गांजा बेचने वालो पर कार्रवाई नहीं करती केवल, अंतराज्य से आने वाले वाहनों पर ही कार्रवाई करते है। लेकिन छोटे-छोटे सप्लायर शहर में खुद पनप रहें है। जिसके जद में अब पढ़ाई लिखाई करने वाले बच्चे आ रहें है। शहर के सड़क पर खुलेआम गांजा बिकता है। संकरी गलियों में इसकी पुडिय़ा बेखौफ बेची जाती है, एक पुडिय़ा मांगो, चार मिल जाएंगी। दिन हो या रात, किसी भी वक्त। वो भी सरकंडा और सिविल लाइन थाने के आधा किमी दूरी पर लेकिन पुलिस आज तक इन छोटे-छोटे बिचौलियों पर कभी भी कार्रवाई नहीं करती।
नशीले सामान में सबसे ज्यादा गांजा बिक रहा ..
शहर में अवैध बिकने वाले सभी नशीले सामान में सबसे ज्यादा गांजा बिक रहा हैं। ये धंधा जहां से चल रहा है, उसमें सबसे ज्याद तालापारा, मिनी बस्ती, ठेठा डबरी, कुदुदण्ड 27 खोली, मंगला, अटल आवास, बहतराई अटल आवास, चांटीडीह के छोटे मोटे पान दुकानों से इस सस्ते नशे का व्यापार हा रहा है। यहां बुजुर्ग से ज्यादा तो बच्चे खरीददार है।
कागज की पुडिय़ा को कहते है गोगो होता है इस्तमाल
शहर में नशेडी चिलम की जगह अब गोगो और सिगरेट में गांजा भरते और नशा करते नजर आ रहें है। चिलम को सभी जगह नहीं ले जाया जा सकता ऐसे में अब दुकानों में 10 रूपये में कागज का गोगो मिलता है। जिसे चिलम का आकार देकर उसमें गांजा भरा जाता है। माचिस कारी जाती है। गोगो के साथ गांजा भी जल जाता है। ऐसे में गांजा खत्म साथ में गोगो भी खत्म जिससे किसी को कुछ पता नहीं चलता लोग यदि देख भी लिए तो उन्हें लगता है सिगरेट पी रहें है। और ऐसे ही अब शहर में गांजे का नशा जमकर चलता और महक रहा है।
गांजे का गणित… आंध्र और ओडिशा के नक्सली क्षेत्रों से सप्लाई
– 50 बड़े सप्लायर्स शहर में इसका कारोबार जमाए बैठे है, जो आंध्र, ओडिशा के नक्सली क्षेत्र से सप्लाई लेते हैं। हर महीने 2 क्विंटल की खपत है।
– दर्जनो बार पुलिस ने गांजे से भरे वाहन पकड़े कुछ दिन पहले एक ट्रक गांजा भी पुलिस ने पकड़ा था शहर में थोक में गांजा आता है, फुटकर में बिकता है। जिसपर कार्रवाई नहीं होती।
– मोडिफाइड पुरानी कार की पिछली सीट में दो-दो किलो गांजे के बंडल की तस्करी होती है। इनमें बदबू न आए तो केले के ढेर में भी ले जाते हैं।
– चीलम से घर में पता चलता है इस लिए जिस जगह गांजा बिकता है उसके आस-पास अब दुकानदार गोगो भी रखना शुरू कर दिए है। इसे से नशा कर रहें पढ़े लिखे युवा।