जी हां, यदि आप वाकई चाहते हैं कि आपका या आपके बच्चों का दिमाग तेज हो जाए, मेमोरी शार्प हो जाए, तो इसके आपको बहुत कठिन परिश्रम नहीं करना है, क्योंकि इसका राज आपकी आंखों में छिपा है। हैरान मत होइए, क्योंकि ये 100 प्रतिशत सच है। विशेषज्ञों के अध्ययन के अनुसार, पलक झपकाने से दिमाग तेज होता है और मेमोरी शार्प होती है। अब आपके जेहन में सवाल उठेगा कि ये कैसे संभव है, तो इसका जवाब भी हमारे पास है।
दरअसल, अब तक जितने भी शोध हुए हैं, वे सभी पलक झपकाने और आंखों की रोशनी के बीच के संबंध को दर्शाते हैं, लेकिन इस शोध में पलकों और दिमाग के संबंध को लेकर बात कही गई है। शोध के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपनी पलकें झपकाता है, तो दिमाग अधिक सक्रिय हो जाता है। इससे हम अधिक तल्लीनता से काम करते हैं।
यह शोध यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर द्वारा किया गया है, जिसे ‘करेंट बॉयोलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है। शोध के अनुसार, जब हम अपनी पलकें झपकाते हैं, तब हम जो भी देख रहे होते हैं, उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। पलकें झपकाने के दौरान आंखों को बंद करते हैं तब आंखें खोलने के बाद आंखों की पुतली वापस एक ही स्थिति पर नहीं आती, बल्कि पुतली की स्थिति बदल जाती है। यही प्रक्रिया दिमाग को अधिक सक्रिय बनाती है।
पलकें झपकाने के दौरान आंखों से तरल पदार्थ निकलता है, जिसके कारण आंखें सूखती नहीं और इससे आंखों में जलन और खुजली नहीं होती है। शरीर के दूसरे अंगों की तुलना में आंखों की मांसपेशियां सुस्त होती हैं, ऐसे में ध्यान केंद्रित करने के लिए दिमाग को अधिक कसरत करने की जरूरत पड़ती है और इसी प्रक्रिया में दिमाग अधिक सक्रिय रहता है। इसके साथ ही पलकें झपकाने से दिमाग तरोताजा रहता है। जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अन्य शोध की मानें, तो किसी विशेष मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने से पहले दिमाग खुद को तरोताजा करने का काम करता है। इससे दिमाग की सक्रियता बढ़ जाती है।
कम्प्यूटर पर काम करने वाले ध्यान दें
कम्प्यूटर पर काम करने वाले लोग कम पलकें झपकाते हैं, जिससे आंखों में सूखेपन की समस्या हो सकती है। आप चाहते हैं कि आंखें स्वस्थ रहें, दिमाग पर असर न पड़े, मेमोरी वीक न हो, तो कम्प्यूटर पर काम करते हुए एक सैकंड में तीन से चार बार पलकों को झपकाएं। इतना ही नहीं, कोई भी ऐसा काम, जिसमें पलकें कम झपकती हों, यह आंखों, दिमाग, मेमोरी के लिए नुकसानदेय है। ऐसे में कुछ-कुछ देर में एक सैकंड में पांच बार पलकों को जरूर झपकाएं। बच्चों के साथ भी यही स्थिति होती है। क्लासरूम में टीचर के लेक् चर के दौरान पलकें नहीं झपकाते…स्टडी के दौरान भी अमूमन यही स्थिति होती है। यह स्थिति कई बार इतनी गंभीर हो जाती है कि बच्चों को छोटी उम्र में ही चश्मा चढ़ जाता है। दिमाग भी कमजोर हो जाता है। यहां ध्यान रखें जिन बच्चों को चश्मा लगा है, वे पलक झपकाने की प्रक्रिया से अपनी नजर को तंदुरुस्त कर सकते हैं। यकीन मानिए, पलक झपकाने की प्रक्रिया से से पलक झपकते ही आंखें तरोताजा रहेंगी, दिमाग तेज होगा, मेमोरी शार्प होगी।