बैडवैटिंग:बुरी आदत नहीं रोग भी है
यदि आपका बच्चा 5 वर्ष की उम्र या इसके बाद बैडवेटिंग करता है तो चिकित्सक से परामर्श लें। यह याद रखें कि यह केवल आदत नहीं रोग है, जिसका उपचार होना चाहिए। इसे हल्के में लेने से बच्चे को मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।
यह मनोविज्ञान नहीं रोग है
इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस कॉन्टीनेंस सोसायटी और यूरोपियन सोसायटी ऑफ पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट ने 16 मई को व वर्ल्ड बैडवैटिंग डे लॉन्च किया है। इसका मकसद रात में बिस्तर गीला करने वाले बच्चे के माता-पिता और हैल्थ केयर प्रोफेशनल्स में यह जागरुकता पैदा करना कि यह मनोविज्ञान नहीं रोग है। इसका उपचार होना चाहिए। बैडवैटिंग से आशय है नींद के दौरान ब्लैडर से अनियंत्रित यूरिन बाहर निकल जाती है। पांच साल या इससे ज्यादा उम्र के बच्चे यदि ऐसा करें तो इसे गंभीरता से लें। ज्यादातर माता-पिता मानते हैं कि बच्चा बड़ा होगा तो आदत छूट जाएगी, पर 100 में से एक वयस्क ऐसे भी हैं, जिनका समय पर उपचार नहीं हुआ और वे बड़े होकर भी बिस्तर गीला कर देते हैं।
बैडवैटिंग के कारण
यह भ्रम है कि बैडवैटिंग केवल बुरी आदत है, जो उम्र बढऩे के साथ नहीं रहेगी। इसका कारण है रात में ज्यादा यूरिन बनना या ब्लैडर की यूरिन संग्रहण क्षमता घट जाना और बार-बार यूरिन आने के संकेत न समझना। इसके अलावा बैडवैटिंग करने वाले दो-तिहाई बच्चों में कई बार इसका कारण आनुवांशिक भी पाया जाता है। इसलिए ऐसे लक्षण सामने आते ही देर किए बगैर डॉक्टर से परामर्श करें।
Home / Health / Body & Soul / बैडवैटिंग:बुरी आदत नहीं रोग भी है