लापरवाही और नजरअंदाजी में कभी वायरल का प्रभाव घातक होता है तो कभी यह साधारण तकलीफ देकर जल्द ही विदा हो जाता है। लोगों में वायरल फीवर को लेकर कई तरह की गलतफमियां भी हैं। जैसे जिस बुखार या फीवर में सर्दी-जुकाम के लक्षणों के साथ तेज बुखार हो, उस स्थिति को ही वायरल फीवर मानते हैं। यह सच है कि इस तरह का बुखार भी वायरल फीवर में शामिल है, लेकिन वायरल फीवर (viral fever) के अंतर्गत वायरस से होने वाले कुछ और रोगों जैसे खसरा, वायरल हेपेटाइटिस (Viral hepatitis), चिकन-पॉक्स (chicken pox), गलसुआ आदि को भी शामिल किया जाता है। इन सभी रोगों में बुखार आना संभव है। इसके अलावा बहुत सी परेशानियां बैक्टीरियल इन्फेक्शन (bacterial infection) के कारण होती है।
सबके अंदर है ‘जैविक शक्ति’
बै क्टीरियल इन्फेक्शन सदियों से दुनिया में है और आगे भी बने रहेंगे। मनुष्य ही नहीं सभी जीवधारियों को इन संक्रमणों की मार झेलनी पड़ती है लेकिन हममें एक ऐसी जैविक शक्ति है, जो रोगों का प्रतिरोध करती है और इसीलिए इसे रोग प्रतिरोधक या इम्यून पावर कहा जाता है। सभी जीवधारियों के शरीर में एक प्रभावी इम्यून सिस्टम (immune system) होता है जो बीमारियों या रोगाणुओं की घुसपैठ को रोकता है, उन्हें नष्ट कर शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है। जब इम्यून सिस्टम में गड़बड़ हो जाती है तो बाहरी रोगवाहक जैसे-बैक्टीरिया, वायरस या फंगस शरीर पर हमला कर उसे रोगी बना देते हैं।
इम्यूनिटी बढ़ाने का 5 स्टेप्स फॉर्मूला
इम्यूनिटी (immunity) को ईश्वर और कुदरत की देन कहा जा सकता है, पर उसे संभालना और विकसित करना हमारी जिम्मेदारी है। एक नवजात को मां के दूध से सबसे पहला पोषण और इम्यूनिटी ही तो मिलती है। इसके आगे इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए जीवन भर कुछ न कुछ उपाय करने होते हैं। इम्यूनिटी शरीर की बिना शब्दों की भाषा है जो अपनी ताकत को स्वस्थ शरीर और कमजोरी को बीमारियों के जरिए व्यक्त करती है।
खाने-पीने पर दें ध्यान
अपनी फूड हेबिट्स, फूड टाइप और चॉइस का रिव्यू कीजिए। कोई भी बीमारी के लक्षण दिखें तो सबसे पहले देखिए कि कहीं आपका खानपान तो आपको बीमार नहीं कर रहा। हैल्दी और नैचुरल चीजों को अपनाइए आप अपनी इम्यूनिटी में फर्क खुद ही महसूस होगा।
एक्स्ट्रा करने को ‘हां’
इम्यूनिटी कमजोर है तो रूटिन से हटकर कुछ एक्स्ट्रा भी करना होगा। इसके लिए अपने शरीर के अनुसार अनुभवी डॉक्टर्स या किसी विशेषज्ञ सलाह लीजिए। अपना नियमित चैकअप कराइए और जैविक लक्षणों को समझिए। इम्यूनिटी को लेकर अपना ज्ञान बढ़ाइए और सबके साथ बांटिए।
रखें साफ-सफाई
तन और मन की स्वच्छता हर बीमारी को रोकन के लिए पहली सुरक्षा ढाल है। कामों को टालिए मत, आदतों को बदलने का साहस कीजिए। कल कभी नहीं आएगा, सफाई का मोल आज ही जानने में तन-मन और धन का फायदा हैा इससे आप प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ा सकते हैं।
टेंशन को कहें ‘ना’
मन को ठिकाने पर रखें। मानसिक तनाव (mental stress) लगभग हर बीमारी का दोस्त है और इम्यूनिटी का दुश्मन। टेंशन दूर करने के लिए अपने नेगेटिव सोच से बचें और संयमित व्यमवहार करें। ध्यान, योग, प्राणायम और प्रार्थना आपके लिए मददगार होंगे।
जरूर करें व्यायाम
शरीर को सक्रिय रखना सबसे बेहतर उपाय है लेकिन इसे अपने काम की सक्रियता से मत जोडि़ए। पैदल चलिए, साइकिल चलाइए, योग या एरोबिक्स कीजिए या फिर जिम में पसीना बहाइए।
बरतें ये सावधानियां
घर, बाहर और सफर के दौरान सफाई का विशेष ध्यान रखें।
किसी भी तरह के संक्रमण से ग्रस्त हों तो ज्यादा लोगों के संपर्क में न आएं ।
अपने या किसी और के आंख, मुंह और चेहरे को ज्यादा न छुएं।
पानी और आहार की गुणवत्ता को लेकर कोई लापरवाही न बरतें।
काम और यात्रा के दौरान बीमार लोगों के करीब जाने से बचें।
बीमार या संक्रमित लोगों से बात करते समय मुंह ढक लें।
रोग को दबाएं या छुपाएं नहीं, तुरंत डॉक्टर से सलाह और उपचार लें।
सुरक्षा कवच है इम्यूनिटी
सरलतम शब्दों में शरीर की कुदरती ताकत को इम्यूनिटी कहते हैं। हमारे वातावरण और खुद शरीर के अंदर सैकड़ों तरह के असंख्य सूक्ष्म जीव विद्यमान हैं। जब रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तो अपनी क्रि याशीलता से वे कई तरह के रोगकारक रसायन बनाते हैं और उन्हें नष्ट करने की कुदरती ताकत शरीर में होती है। यह शक्ति कुछ सीमा तक प्राकृतिक होती है, मगर इसे शारीरिक क्रियाओं द्वारा विकसित किया जा सकता है। यही ताकत सुरक्षा कवच बनकर हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को शरीर में दाखिल होने से रोकने का काम करती है। इम्यूनिटी को प्रभावों के आधार पर विशेषज्ञों ने स्पेसिफिक, एक्टिव, इनएक्टिव और ऑटो इम्यूनिटी जैसे वर्गों में बांटा हैं। स्पेसिफिक इम्यूनिटी में किसी खास बीमारी से लडऩे के लिए एक खास इम्यूनिटी विकसित की जाती है। एक्टिव इम्यूनिटी पैदा करने के लिए बीमारी के बैक्टीरिया (bacteria) या वायरस को एंटीजेन के रूप में प्रवेश कराया जाता है ताकि वह अपने ही विरूद्ध शरीर को एक्टिव करके एंटीबॉडी बना सके।