scriptसांसों में न घुले स्वाइन फ्लू | Dont let swine flu mix with breathe | Patrika News
बॉडी एंड सॉल

सांसों में न घुले स्वाइन फ्लू

देश के कई राज्यों में स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सावधानी बरतकर इस खतरनाक रोग से बचा जा सकता है। जानते हैं इसके….

जयपुरMar 19, 2018 / 04:35 am

मुकेश शर्मा

swine flu

swine flu

देश के कई राज्यों में स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सावधानी बरतकर इस खतरनाक रोग से बचा जा सकता है। जानते हैं इसके कारणों और उपचार के बारे में।

स्वाइन फ्लू को जानें

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है जो ए टाइप के इन्फ्लूएंजा वायरस से होती है। यह वायरस ‘एच1एन1’ के नाम से जाना जाता है। इस वायरस से व्यक्ति के शरीर में जीन संबंधी बदलाव होने पर निमोनिया हो जाता है जो आगे चलकर कई रोगों का कारण बनता है। सुअरों से शुरू हुआ यह रोग पहले जानवरों में फैला फिर जीन के जरिए मनुष्यों में। इन दिनों यह मनुष्य से मनुष्य में होने वाला संक्रमण है। पर्यावरणीय बदलावों ने इस रोग को और गंभीर बना दिया है।


लक्षण ये भी


फ्लू के गंभीर होने पर पीडि़त व्यक्ति को लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ से फेफड़े प्रभावित होते हैं। जिससे रोगी निमोनिया का शिकार हो जाता है और उसका ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। लेकिन यदि कफ, सांस लेने में दिक्कत व बुखार तीनों एक साथ हों तो तुरंत विशेषज्ञ को दिखाएं।

ऐसे फैलता है

यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है। पहला, रोगी को छूने, हाथ-मिलाने या सीधे संपर्क में आने से। दूसरा, रोगी की सांस के जरिए जिसे ड्रॉपलेट इंफेक्शन भी कहा जाता है।

टीकाकरण उपलब्ध

स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए पॉलिवैलेंट वैक्सीन 0.5 मिलिग्राम की मात्रा में साल में एक बार लगवानी चाहिए। इसका खर्च औसतन 700 रुपए है। इसे हर उम्र के व्यक्ति लगवा सकते हैं। हैल्थ केअर वर्कर,डायबिटीज, हार्ट व अस्थमा के मरीजों को इसे जरूर लगवाना चाहिए। छोटे बच्चों में इसे छह माह की उम्र के बाद ही लगवाएं क्योंकि इस आयु से पहले उनके अन्य टीकाकरण भी चलते हैं।

आवश्यक जांचें

एच1एन1 पीसीआर तकनीक से फ्लू की जांच की जाती है। इसमें नेजल स्वैब व थ्रोट स्वैब का नमूना लेकर टेस्ट होता है।

रोगी की देखभाल

ठीक होने के बाद भी दो सप्ताह तक मरीज संक्रमित रहता है इसलिए उसे ज्यादा बाहर आने-जाने न दें। बच्चों को स्कूल न भेजें। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। मरीज को एकांत में रखें और उसे गर्म खाना ही दें।

मरीज के अटेंडेंट पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण जैसे मुंह पर मास्क, हाथों में दस्ताने व पैरों में मौजे जरूर पहनें।

रोगी के आसपास की जगह को साफ रखें। घर के नजदीक कचरा इक_ा न होने दें। बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को इस रोग का खतरा ज्यादा होता है इसलिए इन्हें विशेषज्ञ की सलाह से वैक्सीन जरूर लगवाएं।


जब मरीज खुद फिट महसूस करे, मेडिकल रिपोट्र्स सामान्य आएं और एंटीवायरल ड्रग का कोर्स पूरा हो जाए तो व्यक्ति स्वाइन फ्लू से मुक्त माना जाता है।

दोबारा होने की आशंका

अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो उसे स्वाइन फ्लू होने की आशंका कम ही रहती है।

सामान्य लोग ऐसे बचें

खाना खाने से पहले हाथों को साबुन व पानी से धोएं। हाथ-मिलाने से परहेज करें। जुकाम होने पर आंखों को बार-बार न छुएं। बाहर से आने के बाद चप्पलों को जरूर धोएं क्योंकि यह संक्रमण जहां-तहां थूकी गई गंदगी से भी फैल सकता है।

इन्हें ज्यादा खतरा

छह माह से अधिक आयु के बच्चों, 60 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्गों, लिवर, किडनी, दमा व एचआईवी से पीडि़तों को स्वाइन फ्लू का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इसके अलावा जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, ऐसे लोग जो प्रभावित व्यक्तिके संपर्क में ज्यादा आते हैं जैसे डॉक्टर, यात्री, नर्स और परिजनों को स्वाइन फ्लू की आशंका बनी रहती है।

Home / Health / Body & Soul / सांसों में न घुले स्वाइन फ्लू

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो