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मेमोरी शार्प करती हैं अच्छी किताबें

रिसर्च के मुताबिक अच्छी कहानियां पढऩे से दिमाग के काम करने का तरीका भी बदला जा सकता है। अगर आप कुछ ज्यादा ही नकारात्मक सोचते हैं, तो अच्छी किताब पढ़कर आप इसे पॉजिटिव बना सकते हैं। 

Jul 29, 2017 / 08:41 pm

विकास गुप्ता

books reading

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अगर हम आपको कहें कि किताब पढऩे से आपके दिमाग में सकारात्मक बदलाव आते हैं तो कैसा रहे? निश्चित तौर पर आप खुश होंगे। अमरीकी शोधकर्ताओं ने पाया है कि अच्छी किताबें पढऩे से दिमाग की थोट्स टू एक्शन पावर यानी किसी काम को करने के लिए दिमाग में विचार की गतिविधियां सक्रिय होती हैं। इससे दिमाग किसी भी विषय को जल्दी याद कर पाता है। जॉर्जिया, अटलांटा की इमोरी यूनिवर्सिटी की यह रिसर्च जर्नल ब्रेन कनेक्टिविटी में प्रकाशित हुई है।

बेस्ट फ्रैंड हैं किताबें
रिसर्च के मुताबिक अच्छी कहानियां पढऩे से दिमाग के काम करने का तरीका भी बदला जा सकता है। अगर आप कुछ ज्यादा ही नकारात्मक सोचते हैं, तो अच्छी किताब पढ़कर आप इसे पॉजिटिव बना सकते हैं। रिसर्च में यूनिवर्सिटी ने 21 विद्यार्थियों को रॉबर्ट हारिश की किताब ‘पॉम्पेई’ पढऩे के लिए दी। 19 दिन की निगरानी में दिमाग का बायां हिस्सा सक्रिय पाया गया।

तंत्रिका संबंधी बदलाव
इस रिसर्च में एफएमआरआई (फंक्शनल मैगेनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग) जैसी वैज्ञानिक पद्धति का सहारा लिया। एमआरआई स्कैनर के जरिए पता चला कि नॉवेल पढऩे से दिमाग की रेस्टिंग स्टेट में बदलाव होता है। यूरो साइंटिस्ट ग्रिगोरी बन्र्स का कहना है कि कहानियां हमारी जिंदगी को आकार देती हैं। एक जबर्दस्त कहानी दिमाग में याददाश्त बढ़ाती है। कहानी पढऩे से शरीर में तंत्रिका संबंधी बदलाव होते हैं। शरीर में उत्तेजना होती है और हम खुद ब खुद कहानी के किरदारों में खुद को महसूस करते हैं। किताब पढ़ते समय दिमाग आभासी दुनिया में पहुंच जाता है और उन्हीं गतिविधियों को सही मानता है।

बिबलियोथैरेपी भी
हमारे यहां बच्चों को पंचतंत्र की कहानियां इसलिए पढ़ाई जाती हैं, क्योंकि इससे उनमें संस्कार आते हैं और दिमाग विकसित होता है। नॉवेल पढऩे से दिमाग में न्यूरोन्स बढ़ते हैं, इससे याददाश्त बढ़ती है। तनाव में रहने वाले लोगों को बिबलियोथैरेपी यानी किताबें पढऩे के लिए कहा जाता है, जिससे मन को संतुष्टि मिलती है और दिमाग तनावमुक्त होता है। रात में किताब पढऩे से नींद अच्छी आती है। इससे आपके सपनों पर भी प्रभाव पड़ता है। पढ़ते वक्त टीवी देखना या गाने सुनना सही नहीं है। इससे दिमाग एकाग्रचित नहीं हो पाता और किताब पढऩे का पूरा फायदा नहीं मिल पाता है।

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