डॉ क्टर्स की मानें तो हेपेटाइटिस बी व सी सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। इसके मरीजों को लिवर सिरोसिस होने की आशंका रहती है। इसमें मरीजों का लिवर सिकुड़कर काम करना बंद कर देता है। कई बार लिवर में पानी भर जाता है। खून की उल्टियां होने लगती हैं और शरीर पर सूजन आ जाती है। मरीज को लिवर कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव ही सबसे कारगर उपाय है। इसके लिए धारदार चीज जैसे इंजेक्शन, रेजर्स या टूथब्रश दूसरे से साझा न करें। असुरक्षित यौनसंबंध न बनाएं और दूषित खानपान से बचें। बच्चों को हेपेटाइटिस के टीके जरूर लगवाएं। गर्भवती महिलाओं का हेपेटाइटिस बी और सी टैस्ट करवाएं। खुली चोट को छूने से पहले हाथ अच्छी तरह साफ कर लें।
प्रमुख वजहें –
दूसरे का टूथब्रश और शेविंग रेजर इस्तेमाल करना, सिरिंज या सर्जरी के उपकरणों का बिना स्ट्रलाइजेशन इस्तेमाल करना,
इंजेक्शन से किसी प्रकार का नशा करना, असुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाना, गलत तरीके से खून देना या चढ़वाना और दूषित खानपान हेपेटाइटिस के मुख्य कारण हैं।
हेपेटाइटिस के प्रकार और उनके कारण –
वायरल हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं।
इनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई होता है।
हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन के कारण होता है।
वहीं हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होते हैं।
हेपेटाइटिस ए और ई अपेक्षाकृत कम खतरनाक होते हैं।
वहीं हेपेटाइटिस बी, सी और डी लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं।
लक्षण : भूख न लगना, जी मिचलाना और पेट में दर्द। आंखों में पीलापन, थकान और तेजी से वजन कम होना। पाचन संबंधी समस्या, उल्टियां आना, पैरों में सूजन, सिर में दर्द, हल्का बुखार रहना और यूरिन का कलर पीला होना।
जांचें : इसमें लिवर फंक्सन टैस्ट, एंटीजन और एंटीबॉडीज टैस्ट कराते हैं ताकि पता चल सके कि कौनसा वायरस है और कितना एक्टिव है।
ध्यान रखें : इससे बचाव के लिए तीन टीके लगते हैं। पहले टीके के बाद अगला टीका 30वें और फिर 180वें दिन लगता है। हार्ट व बीपी के मरीज और गर्भवती महिलाओं को भी टीके लगवाएं। शिशुओं को जन्म के समय ही टीके लगवाएं।