खून साफ करती हल्दी
कच्ची हल्दी की गांठ को मिट्टी में गाढक़र उगाया जा सकता है व इसे सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। रक्तशोधक होने के साथ यह वात, पित्त व कफ त्रिदोषों के लिए भी लाभकारी है।
इम्युनिटी बढ़ाए ज्वारे
ये 8-10 दिनों में उग जाते हंै। बगीचे में लगाकर इनकी पत्तियों का जूस निकालकर पिया जा सकता है। रक्तवर्धक होने के साथ रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत बनाते हंै। कैंसर के इलाज के बाद रोगी की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ज्वारे व गिलोय के रस में काली मिर्च मिलाकर देना फायदेमंद माना जाता है।
सिर-बालों के लिए भृंगराज
इसके रस को तिली के तेल में जलाकर इस तेल का प्रयोग करने से सिरदर्द में आराम मिलता है साथ ही बालों का झडऩा रुकता है।
धनिया से किडनी केयर
तेज मिर्च-मसालों के प्रभाव को कम करने में यह सहायक है। किडनी संबंधी रोगों में भी फायदेमंद है।
त्रिदोषनाशक गिलोय
एक छोटी-सी टहनी लगा देने से यह आसानी से उग जाता है। आयुर्वेद में इसे त्रिदोषशामक माना जाता है। पेट के अल्सर में इसका खाली पेट रस लेना लाभकारी है।
अदरक से सर्दी दूर
चाय व सब्जियों में अदरक का प्रयोग सर्दी, जुकाम व खांसी को कम करने में सहायक है।
लौकी से वजन घटता
लौकी वजन कम करने में सहायक है व तोरइ पित्तनाशक है। घर में लगाने से ये ज्यादा ऑर्गेनिक होंगी।