अक्सर, लोग मानते हैं कि यह आवश्यक नहीं है, क्योंकि उनके बच्चे स्वस्थ दिखाई देते हैं या अक्सर बीमार नहीं पड़ते हैं। अन्य मामलों में किसी निश्चित बिंदु पर सदस्यों की अनुपलब्धता के कारण स्वास्थ्य कर्मचारी कुछ परिवारों तक पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए टीकाकरण के महत्व पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) को वर्ष 2014 में मिशन इंद्रधनुष के रूप में फिर से शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य 2020 तक टीकाकरण के दायरे को 90 प्रतिशत तक फैलाना था।केवल सतत टीकाकरण कवरेज साल दर साल निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। प्रयास मिशन जैसे होने चाहिए। जीवन रक्षा टीकों को देने में आने वाली चुनौतियों को मौजूदा ज्ञान से ठीक करने की आवश्यकता है और पिछले अनुभवों से सीखना चाहिए।
यूआईपी के तहत टीकाकरण जारी अनुसूची में टीकों के बारे में जानकारियां दी गई हैं
बीसीजी (बैसिलस कैल्मेट गुरिन) जन्म पर एक खुराक (1 साल तक यदि पहले नहीं दिया गया हो)।
डीपीटी (डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटनेस टोक्सॉयड) पांच खुराक : तीन प्राइमरी खुराक छह सप्ताह, 10 सप्ताह व 14 सप्ताह बाद और दो बूस्टर खुराक 16-24 महीने एवं 5 साल की उम्र में।
ओपीवी (ओरल पोलियो टीका) पांच खुराक : तीन प्राथमिक खुराक छह, 10 और 14 सप्ताह बाद और एक बूस्टर खुराक 16-24 महीने की उम्र में।
हिपेटाइटिस बी टीका चार खुराक : जन्म के 24 घंटे के भीतर 0 खुराक और छह, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में तीन खुराक
खसरा, दो खुराक : पहली खुराक 9-12 महीने और दूसरी खुराक 16-24 महीने की उम्र में।
टीटी (टेटनस टोक्सॉयड) दो खुराक : 10 साल और 16 साल की उम्र में।
टीटी : गर्भवती महिला के लिए दो खुराक या एक खुराक अगर पहले 3 साल के भीतर टीका लगाया जाता है।
इसके अलावा, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई टीका) टीका 2006-10 से चरणबद्ध तरीके से अभियान मोड में 112 स्थानिक जिलों में पेश किया गया था और अब इसे नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया है।