शिशुआसन :
यह कब्ज व पीठ दर्द में राहत देता है। इससे दिमाग से लेकर गर्दन तक मांसपेशियों और नसों को आराम मिलता है।
ऐसे करें : वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। कूल्हों को एड़ी पर टिकाएं व कमर सीधी रखें। धीरे-धीरे शरीर को आगे की ओर झुकाते हुए माथे को जमीन पर टिकाएं। दोनों हाथों को शरीर के बगल में शिथिल रखें। इस मुद्रा में शरीर को ढीला छोड़ें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें। इसके बाद धीरे-धीरे ऊपर उठकर एड़ी पर बैठ जाएं व कमर को सीधा रखें।
कौन न करें: पीठदर्द, दस्त की समस्या में या जिनका पूर्व में घुटने का ऑपरेशन हुआ हो वे इसका अभ्यास न करें।
नटराजासन –
इसे नियमित करने से दिमाग से लेकर पैरों तक की मांसपेशियों में लचीलापन आता है। रीढ़ की हड्डी सीधी होने से गर्दन की मसल्स रिलेक्स होती हैं।
ऐसे करें : सीधे खड़े होकर दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। इसके बाद इस पैर को घुटने से मोड़कर पंजे को दाएं हाथ से पकड़कर क्षमतानुसार ऊपर उठाएं। बाएं हाथ को सामने की ओर ऊपर और सिर को ऊपर की ओर उठाकर रखें। इस स्थिति में 30 सेकंड के लिए रुकें फिर धीरे-धीरे दाएं पैर को जमीन पर टिका लें। ऐसा बाएं पैर से भी करें।
कौन न करें : लो-ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों में अकड़न और पीठ दर्द की समस्या में न करें।
शवासन :
यह पूरे शरीर को रिलैक्स करता है। इससे हर अंग को आराम मिलता है। जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार होता है। यह बीपी सामान्य रखने के साथ अनिद्रा में राहत पहुंचाता है।
ऐसे करें : चटाई बिछाकर पीठ के बल सीधे लेटें। दोनों हाथों को शरीर से 6 इंच की दूरी पर रखें। हथेलियां आसमान की ओर खुली रखें। दोनों पैरों के बीच एक फुट का गैप दें। धीरे-धीरे शरीर को रिलैक्स करें। नीचे से ऊपर शरीर के एक-एक अंग पर ध्यान देकर ढीला छोड़ें। ध्यान रखें कि इस दौरान आंख व मुंह बंद हों। कुछ देर सामान्य सांस लेते रहें। योग के दौरान नींद आने लगे तो लंबी-लंबी सांस लें व छोड़ें।
कौन न करें: इसे कोई भी कर सकता है लेकिन जिसे पीठ के बल लेटने में दर्द हो वे न करें।