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बॉडी एंड सॉल

ज्यादा लंबे समय तक बैठने से कम हो जाती है लाइफ

लगातार आठ घंटे तक शिथिल रहने वाले व्यक्ति को मौत का खतरा एक घंटे शिथिल रहने वाले व्यक्ति की तुलना में 61 फीसदी ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों ने विभिन्न अंगों पर इसके असर को विस्तार से बताया है –

जयपुरApr 06, 2019 / 05:06 pm

विकास गुप्ता

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लगातार आठ घंटे तक शिथिल रहने वाले व्यक्ति को मौत का खतरा एक घंटे शिथिल रहने वाले व्यक्ति की तुलना में 61 फीसदी ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों ने विभिन्न अंगों पर इसके असर को विस्तार से बताया है –

घंटों लंबी सिटिंग की आदत हमारे जीवनकाल को घटा देती है। अमरीका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन मायो क्लीनिक एवं बेरी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने बताया है कि लगातार आठ घंटे तक शिथिल रहने वाले व्यक्ति को मौत का खतरा एक घंटे शिथिल रहने वाले व्यक्ति की तुलना में 61 फीसदी ज्यादा होता है। वैज्ञानिकों ने विभिन्न अंगों पर इसके असर को विस्तार से बताया है –

हृदय रोग –
मांसपेशियां कम वसा खर्च करती हैं और खून का प्रवाह धीमा हो जाता है। हार्ट में फैटी एसिड जमा हो जाता है। लंबी सिटिंग हाई बीपी व कोलेस्ट्रॉल की समस्या देती है। हृदय रोगों का खतरा दोगुना हो जाता है।

अग्नाशय की डबल ड्यूटी –
अग्नाशय (पैनक्रियाज) कोशिकाओं को एनर्जी देने वाला इंसुलिन हार्मोन बनाते हैं लेकिन लंबी सिटिंग से कोशिकाएं इस इंसुलिन को ग्रहण नहीं कर पाती हैं। उधर, पैनक्रियाज लगातार इंसुलिन बनाते रहते हैं। ज्यादा इंसुलिन खपता नहीं और डायबिटीज का कारण बनता है। एक स्टडी में पाया गया था कि एक दिन की लंबी सिटिंग के बाद ही कोशिकाओं ने इंसुलिन खपाना कम कर दिया था।

आंतों का कैंसर –
आंतों के साथ ब्रेस्ट व एंडोमिट्रियल (गर्भाशय से जुड़ा) कैंसर का खतरा। ज्यादा इंसुलिन से कोशिकाएं बढ़ती हैं। मूवमेंट न होने से कैंसरकारकों को नष्ट करने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स नहीं बन पाते हैं।

सिर पर बड़ा संकट –
दिमाग में झोल : मांसपेशियों में हलचल दिमाग में रक्तसंचार और ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए बहुत जरूरी है। आलस में पड़े रहने से दिमाग को एक्टिव रखने वाले रसायन भी निकलने बंद हो जाते हैं। असर सभी अंगों पर पड़ता है।

हिलती-डुलती गर्दन : अधिकतर समय कम्प्यूटर स्क्रीन और की-बोर्ड पर नजरें गड़ाए बैठे रहने से गर्दन की हड्डी सर्वाइकल वर्टिब्रे में स्थायी असंतुलन आ जाता है।

पैरों में सूजन, खून के थक्के –
घंटों बैठे रहने से रक्त संचार धीमा पड़ जाता है। इससे पैरों में तरल पदार्थ इक्कठे होने लगते हैं। पैरों में सूजन से लेकर खून के थक्के बनने की गंभीर बीमारी डीवीटी (डीप वेन थ्रोम्बॉसिस) होने का खतरा।

कमजोर हड्डियां –
पैरों पर बोझ डालने वाले काम जैसे दौडऩे या तेज चलने से कमर के नीचे वाली हड्डियां मजबूत और चौड़ी होती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि हड्डियों के कमजोर होने व तेजी से उभरी बीमारी ऑस्टियोपोरॉसिस का एक कारण चलने और दौडऩे में आई कमी भी है।

झुक जाती है रीढ़ की हड्डी –
खड़े होने, काम करने या सही तरीके से बैठने पर हमारे पेट की मांसपेशियां काम करती रहती हैं। लेकिन कुर्सी पर पसरते ही ये बेकार हो जाती हैं। इसकी वजह से रीढ़ की हड्डी धनुष की तरह झुकने लगती है। इस स्थिति को हाइपरलॉर्डोसिस कहते हैं।

कमर : लचीले कमर और नितंब शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। लेकिन कुर्सी पर पसरे रहने की वजह से पैर को कमर से जोडऩे वाली मांसपेशियां सिकुड़कर कठोर हो जाती हैं। इससे तेज चलने और दौडऩे पर असर पड़ता है।
बुढ़ापे की मुसीबत : कमर में लचीलेपन की कमी से ही बुजुर्ग बार-बार गिर जाते हैं।

पीठ की परेशानी –
काम करने के दौरान रीढ़ की हड्डी के अंदर स्थित सॉफ्टडिस्क (कुंडल या चक्रिकाएं) फैलते-सिकुड़ते रहते हैं। इससे ताजा रक्त और पोषक तत्त्वों का संचार बना रहता है। देर तक बैठे रहने से येडिस्क दबने लगते हैं। स्नायु (टेंडन) और अस्थिमज्जा (लिगामेंट्स) के आसपास की सतह कठोर होने लगती है।

डिस्ककी समस्या –
पेट के अंदर एक मांसपेशी रीढ़ की हड्डी से जुड़ी होती है। हमेशा बैठे रहने से ये सिकुड़कर स्पाइन को आगे खींच लेती है। शरीर का वजन रीढ़ की हड्डी पर फैलने की बजाय शरीर के निचले हिस्से पर पडऩे से दर्द होने लगता है।

टीवी मौत का कारण !
साढ़े आठ साल तक किए गए शोध के अनुसार इस दौरान अधिकतर समय टीवी देखने वालों की मौत का खतरा उन लोगों से ६१ फीसदी ज्यादा पाया गया जो दिनभर में मात्र 1 घंटे टीवी देख रहे थे।
4% खतरा 1-2 घंटे टीवी देखने वालों पर
14% खतरा 3-4 घंटे टीवी देखने पर
31% खतरा 5-6 घंटे टीवी देखने वालों पर
61% खतरा 7 घंटे से अधिक टीवी पर

तो हम क्या करें …

गेंद पर बैठें : गेंद पर या बिना पीठ वाले स्टूल पर सीधा बैठें, पांव सपाट सतह पर इस तरह रखें जिससे शरीर का एक-तिहाई वजन ही उसपर पड़े।

स्ट्रेचिंग : कम से कम तीन मिनट तक इस तरह से प्रतिदिन दोनों पांव पर बैठें।
टीवी देखते चहलकदमी टीवी पर एड के दौरान मात्र एक मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलकर भी हम बैठने से दोगुनी कैलोरी बर्न कर सकते हैं। जितना तेज चलेंगे, उतना बेहतर होगा।

बैठे फिर खड़े हों : अगर बैठकर काम करना मजबूरी या जरूरत है तो हर आधे घंटे में एक बार खड़े हो जाएं। संभव हो तो थोड़ा टहल लें।
योग की मुद्रा में बैठें : उन मुद्राओं में बैठें जिनसे पीठ व कमर को आराम मिले। जैसे बिल्ली या गाय बैठती हैं।

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