राइस यूनिवर्सिटी की लॉरा कबीरी सहित शोधकर्ताओं ने कहा कि समस्या इस बात को जानने को लेकर है कि आखिर कितनी सक्रियता संगठित जीवनशैली के लिए जरूरी है। शोधकर्ताओं ने कहा कि परिजनों को अपने बच्चों को प्रतिदिन शारीरिक गतिविधियों के लिए और ज्यादा समय देना चाहिए।
कबीरी ने कहा कि परिजन जानते हैं कि अगर वे अपने बच्चों को तेज सांस लेते हुए और पसीना छोड़ते हुए नहीं देखेंगे तो इसका मतलब वे पर्याप्त परिश्रम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तो शारीरिक गतिविधियों के लिए और अवसर होने चाहिए। अपने बच्चों को बाहर लाएं और उन्हें दौडऩे, पड़ोसी बच्चों के साथ खेलने दें और उन्हें बाइक्स चलाने दें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बच्चों को एक दिन में मुख्य रूप से एक घंटे की एरोबिक गतिविधि करनी चाहिए। लेकिन अन्य शोधों में पाया गया कि गैर-कुलीन स्पोट्र्स में शामिल बच्चों को सिर्फ 20-30 मिनट में ही पर्याप्त परिश्रम कर लिया था। जर्नल ऑफ फंक्शनल मोर्फोलॉजी एंड किनेसिओलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने अपने शोध में घर में पढ़ाई करने वाले 10-17 साल के 100 बच्चों को शामिल किया।