उठने बैठने में तकलीफ, अधिक भारी चीज न उठा पाना, लंबे समय से नींद न आना, थकावट रहना, इम्युनिटी कमजोर होना, तनाव या अवसाद, घबराहट, जहां दर्द है वहां सूजन के साथ त्वचा लाल होना।
३-५
बार लेना होता है इलाज यदि दर्द लगातार या बार-बार हो तो।
शरीर के सर्किट में गड़बड़ी से दर्द
शरीर का हर अंग सर्किट की तरह आपस में जुड़ा है। इसमें गड़बड़ी से ब्रेन दर्द का सिग्नल भेजता है। पेन मैनेजमेंट में इलाज दो तरह से होता है। डायग्नोस्टिक इंटरवेंशन में दर्द का कारण पता लगा दवा देते हैं। वहीं थैरेप्यूटिक इंटरवेंशन में दर्द कहां, कब से व क्यों हो रहा है, इसकी जांच कर उस भाग में सीटी व अल्ट्रासाउंड प्रक्रिया से विशेष दवा डालते हंै। इनका फायदा गर्दन, पैर, चेहरे या कमरदर्द में होता है। दर्द लगातार हो तो ३-५ बार इलाज लेना होता है।
एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, ब्लड की बायोकैमेस्ट्री जांच प्रमुख रूप से कराते हैं। इनकी रिपोर्ट में कुछ न निकलने व दर्द रहने पर मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया से दर्द की वजह जानते हंै।
८०त्न
मरीजों का काम दर्द के कारण प्रभावित
होता है।
आयुर्वेद
दर्द किसी बीमारी का संकेत होता है जिसे कभी हल्के में न लें। इससे बचने के लिए संतुलित व साफ खानपान हो। शरीर में विषैले तत्त्व बढऩे से दर्द होता है। पंचकर्म, पोटली मसाज और शिरोधारा का प्रयोग करते हैं। काढ़े का भाप लेने से भी आराम मिलता है। नियमित व्यायाम के साथ योग व प्राणायाम करें। सौंठ, अदरक, लहसुन, अजवाइन, व हल्दी प्रयोग में लें।
इंट्राथिकल पंप व पेसमेकर से दर्द दूर
कैंसर व स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) में चोट लगने पर दर्द ज्यादा होता है जिसमें दवाओं से राहत नहीं मिलती। कैंसर रोगियों में दर्द से राहत के लिए प्रभावित हिस्से में इंट्राथिकल पंप सर्जरी कर सेंसरी नर्व से जोड़ देते हैं। दिमाग को दर्द का सिग्नल मिलते ही यह पंप अपने आप दवा छोड़ देता है। स्पाइन में दर्द से राहत के लिए पेसमेकर लगाते हैं जो दर्द होने पर दवा की ड्रॉप छोड़कर दर्द को दूर करता है।