प्लाज्मा थैरेपी –
प्लाज्मा थैरेपी से भी इलाज किया जा रहा है। इससे नुकसान की आशंका नहीं के बराबर है, लेकिन इसके फायदे को लेकर कोई प्रमाण नहीं आए हैं। हां, इतना तय है कि अभी हमें गुड हैल्थ प्रैक्टिस को नहीं छोडऩा है। हाथ धोना, साफ-सफाई, पर्सनल हाइजीन, संक्रमण से बचाव जैसी अच्छी आदतें सभी के लिए जारी रखना जरूरी है। मास्क कम से कम 2021 की अंतिम तिमाही से पहले न उतारें। जीवनशैली वाले रोगों के लिए भी इलाज, मशीनों, डॉक्टर्स, मेडिकल शिक्षा व रिसर्च सहयोग के लिए पीपीपी प्रयासों की जरूरत रह्वहेगी।
कोरोना ने किए बहुत बदलाव, बहुत सिखाया –
कोविडकाल ने हमें तकनीक, आत्मनिर्भरता व महामारी से निपटने के कई सबक दिए हैं। किसी ने भी ऐसे वक्त की कल्पना नहीं की थी। लेकिन अब हम राहत की सांस लेने की तरफ बढ़ रहे हैं। कोविड 19 ने सिखाया है कि देश में ही उपलब्ध संसाधनों से किस तरह ऐसे संकटकाल में पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) को अपनाकर जम्बो फैसिलिटी जुटाई जा सकती है। बीमारी नई थी। सरकार ने समय रहते सरकारी व निजी अस्पतालों को जोड़ते हुए पीपीई किट, मेडिकल सुविधाओं की सीमित क्षमता, दवा आदि के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए। हैल्थकेयर व इंडस्ट्री की इसी पीपीपी की वजह से विकसित देशों के मुकाबले हमारे यहां मृत्युदर कम रही। सरकार व शहरी निकायों के प्रयासों से हम स्थिति का मुकाबला करने में सक्षम हो पाए। यहां तक कि पीपीई व एन-95 मास्क का निर्यात भी करने लगे।
हैल्थ सेक्टर में बदलाव-
अब दौर घर बैठे क्वालिटी ट्रीटमेंट का है। टेलीमेडिसिन से मरीजों को ही फायदा होगा। वीडियो के जरिए डॉक्टर दूर दराज के क्षेत्रों वाले मरीजों को भी देख रहे हैं। डॉक्टर ज्यादा मरीजों से जुड़ सकते हैं। रिपोर्ट, डायग्रोसिस आदि के डिजिटाइजेशन से मेडिकल रिसर्च के लिए ज्यादा सामग्री मिलेगी।
हर पैथी अच्छी, जो शरीर को सूट करे उसे अपनाएं –
लोगों में भ्रम भी है कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए वे डाइट, न्यूट्रिशन, सप्लीमेंट या कौनसी चिकित्सा पद्धति अपनाएं तो यह समझ लें कि आपका शरीर जिसे अच्छी तरह से ग्रहण कर रहा है, उसे ले सकते हैं। हर पैथी की अपनी भूमिका है। अब सारा फोकस हैल्थ व इम्युनिटी पर रखना होगा।