35 -40 की उम्र के बाद महिलाओं को हार्मोनल बदलाव ( Hormonal changes ) से अनियमित पीरियड्स ( Irregular periods ) , कमजोरी के कारण चिड़चिड़ापन और थकान, ब्लड प्रेशर ( blood pressure ), डायबिटीज ( diabetes ) , कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर, कमर और जोड़ों का दर्द ( Back and joint pain ), एस्ट्रोजन ( Estrogen ) कम बनने से मनोवैज्ञानिक समस्या, गर्भाशय और ब्रेस्ट से संबंधित बीमारियों की आशंका, मेनोपॉज ( menopause ) होने से हार्ट की बीमारियों और थायरॉयड ( thyroid ) का खतरा रहता है।
घबराहट, ब्लड प्रेशर बढ़ना, सीने में दर्द, बांहों में दिक्कत, पीठ या जबड़े में दर्द, सांस का उखड़ना, अचानक से पसीना आना, सिरदर्द, उठने-बैठने और चलने में परेशानी या अचानक से वजन बढ़ता है तो इन लक्षणों को छुपाएं नहीं, डॉक्टर को बताएं।
– बीपी की नियमित जांच कराएं।
– ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए मेमोग्राफी टैस्ट होता है।
– गर्भाशय से जुड़ा पैप स्मियर टैस्ट हर तीन साल में कराना चाहिए।
– पांच साल में एक बार थायरॉयड टैस्ट कराना चाहिए।
– मोटापे से कई बीमारियां होती हैं। वजन जांचें व इसे कंट्रोल रखें।
– हड्डियों के लिए बीएमडी टैस्ट।
– डॉक्टरी सलाह से ही टैस्ट करवाने चाहिए।
– 45 मिनट रोजाना एक्सरसाइज महिलाओं के लिए फायदेमंद होती है।
– नियमित एक्सरसाइज से 50 फीसदी तक बीमारियों की आशंका घट जाती ।
– नियमित रूप से हैल्दी और संतुलित डाइट लें। नाश्ता व खाना समय पर लेना चाहिए।
– हरी पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल रोज लें।
– कैल्शियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त चीजें भोजन में शामिल करें।
– इस उम्र में रोज एक लीटर दूध पीना चाहिए।
– स्विमिंग, एरोबिक, साइक्लिंग, जॉगिंग और रस्सीकूद जैसी एक्सरसाइज करें।
– तनाव से बचने के लिए ध्यान और योग करें।
– थकान महसूस होने पर पूरा आराम करें।
– रोज 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद जरूर लें।