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World Blood Donor Day 2019: यूं ही नहीं कहते रक्तदान महादान

World Blood Donor Day 2019: भारत में हर साल करीब 10 हजार बच्चे थैलिसिमिया जैसी बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इनमें से कई बच्चों की समय पर खून न मिलने की वजह से मौत हो जाती है। भारत में एक लाख से ज्यादा थैलिसिमिया के मरीज हैं

जयपुरJun 14, 2019 / 10:47 am

Jitendra Rangey

Blood donation

World Blood Donor Day 2019: ऐसे ही नहीं कहते रक्त महादान

रक्तदान की है जरूरत
भारत में हर साल करीब 10 हजार बच्चे थैलिसिमिया जैसी बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इनमें से कई बच्चों की समय पर खून न मिलने की वजह से मौत हो जाती है। भारत में एक लाख से ज्यादा थैलिसिमिया के मरीज हैं, जिन्हें बार-बार खून बदलने की जरूरत पड़ती है। रक्त की जरूरत पड़ने पर इसकी कमी किसी दवा या थैरेपी से दूर नहीं की जा सकती है। 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसद स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत की थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 124 प्रमुख देशों को अभियान में शामिल कर स्वैच्छिक रक्तदान की अपील की थी।
जानें रक्तदान से जुड़ी बातें
एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट (तकरीबन 5-6 लीटर) रक्त होता है। 18 से 68 वर्ष की आयु के लोगों को जिनका वजन 45 किलो से ज्यादा हो रक्तदान कर सकता है। रक्तदान में केवल एक यूनिट रक्त ही लिया जाता है। रक्तदान की प्रक्रिया काफी सरल है और इसमें किसी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता है। रक्तदाता का वजन पल्स रेट, ब्लड प्रेशर आदि सामान्य पाए जाने पर ही रक्तदान किया जा सकता है। पुरुष तीन महीने और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं।
हर कोई नहीं कर सकता रक्तदान
हर कोई रक्तदान नहीं कर सकता। रक्तदान के लिए आपका स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। यदि रक्तदान के बाद आपको चक्कर आने, पसीना आने, वजन कम होने या किसी अन्य तरह की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो आप रक्तदान न करें।

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