कादर खान ने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्में की। साथ ही कई फिल्मों की कहानी व डायलॉग्स भी लिखे। कादर एक इंजीनियरिंग छात्र थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद वो सिद्दिकी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हो गए।
कादर खान को बचपन से ही अभिनय करना अच्छा लगता था । वो कॉलेज के समय में अभिनय में हिस्सा लिया करते थे। एक बार उनके अभिनय को देखकर दिलीप कुमार काफी इंप्रेस हुए। और उन्होनें कादर खान से अपनी फिल्मों में काम करने के लिए बोला। कादर खान की पहली फिल्म ‘दाग’ थी। इस फिल्म में कादर खान वकील के रूप में नजर आए थे।
कादर खान ने उस दौर की हिट फिल्म ‘रोटी’ के डायलॉग्स लिखे थे। इस फिल्म के लिए मनमोहन देसाई ने उन्हें एक लाख 20 हजार रुपए फीस दी थी। उस दौर में यह सबसे बड़ी फीस थी। कादर खान ने फिल्मों के अलावा कई टीवी शो में भी काम किया। उनका शो ‘हंसना मत’ काफी लोकप्रिय हुआ था। कादर खान को एक कॉमेडियन के तौर पर जाना जाता है। कादर खान को 9 बार बेस्ट कॉमेडियन अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया।
कहा जाता है कि कादर खान कब्रों के बीच बैठकर डायलॉग्स लिखा करते थे। जिसके लिए उन्हें लोगों से काफी बुराई भी सुनने को मिली थी। मरने के कुछ समय पहले कादर खान ने डायरेक्टर फौजिया अर्शी की फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ में काम किया था।
इसके बाद से वो ज्यादा बीमार रहने लगे। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होनें इस बात के भी जिक्र किया था कि उनकी फैमिली उनका बिलकुल भी ख्याल नहीं रखती थी उन्होंने बताया कि जब वो इलाज के लिए बाबा रामदेव के आश्रम गए थे। वहां उनकी हालत में सुधार हो रहा था। उन्होंने व्हीलचेयर से उठकर चलना शुरू कर दिया था। रामदेव ने उनके बेटों से कहा कि उन्हें थोड़ा वक्त और दें वो उन्हें पूरी तरह ठीक कर देंगे। लेकिन कादर के बेटे उन्हें जल्दी ही घर वापस ले गए।लेकिन सबसे छोटा बेटा कद्दुस नें कादर खान का ख्याल रखा था। एक समय में उन्हें लगने लगा था कि लोग उन्हें पूरी तरह से भूल चुके हैं। कादर खान को इस बात का भी बहुत दुख था कि उन्होंने इंडस्ट्री के लिए इतना कुछ किया लेकिन आज तक उन्हें पद्दमश्री जैसे सम्मान का हकदार नहीं समझा गया।