आमिर खान और नाना पाटेकर भी अवॉर्ड समारोहों में नहीं जाते। वहीं अक्षय कुमार को रात में होने वाली पार्टीज में जाना पसंद नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन सितारों को ऐसे समारोहों में जाना पसंद नहीं है या फिर कोई और बात है। इस मामले में यदि सनी देओल की बात करें, तो उन्हें बॉलीवुड की चकाचौंध से परहेज नहीं है, बल्कि उनको परेशानी पारदर्शिता व निष्पक्षता से है और सनी देओल के अनुसार इस कसौटी पर कोई भी अवॉर्ड समारोह खरा नहीं उतरता। सब कुछ बिका हुआ है।
हाल ही सनी देओल की फिल्म ‘पोस्टर बॉयज’ रिलीज हुई। इसमें उनके साथ बॉबी देओल और श्रेयश तलपड़े नजर आए। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप रही। वैसे बात की जाए, तो सनी का नाम बॉलीवुड के उन स्टार्स में आता है, जो सिर्फ अपने काम से मतलब रखते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान सनी में कहा था कि बॉलीवुड पार्टियों का मतलब शराब और गॉसिप होता है। इन पार्टियों में ना जाने की वजह से शुरुआती दिनों में मुझे लोग गुस्सैल और नखरेबाज समझते थे। मेरे पार्टियों में ना जाने से लोगों के ईगो को ठेस पहुंचती थी।
उन्होंने यह भी बताया कि सारी बी-टाउन पार्टियां एक जैसी ही होती हैं। चाहे वह फिल्मी पार्टी हो या कोई दूसरी। सभी में शराब और गॉसिप जोर-शोर से चलता है। सनी इन सब चीजों से दूरी बनाकर चलते हैं। सनी देओल स्वभाव से थोड़े शर्मीले हैं। वो बचपन से ही शर्मीले हैं। वो आज भी फिल्मों से जुड़े कार्यक्रमों में नहीं जाते हैं।
जहां तक अवॉर्ड समारोहो की बात है, तो इस बारे में जब उनसे ये पूछा गया कि वो अवॉर्ड नाइट में क्यों नहीं जाते हैं, तो वो बोले कि मेरे लिए ये अवॉर्ड नाइट नहीं हैं। मुझे समझ नहीं आता ये अवॉर्ड्स कैसे दिए जाते हैं। कभी किसी ने आज तक ये नहीं बताया कि अवॉर्ड के लिए चुनने का आधार क्या है। हां, यह कहते जरूर हैं कि देश की जनता ने चुना है, लेकिन उसका कोई प्रूफ नहीं दिखाते। वोटिंग कैसे होती है। किसे कितने वोट मिलते हैं। जो बेस्ट चुना जाता है, उसे क्या वाकई जनता ने वोट दिया है फिर…? समझने वाले के लिए इशारा ही काफी है। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैं बॉलीवुड में कई ऐसे लोगों को जानता हूं, जिन्हें अवॉर्ड फंक्शन में शिरकत होने के बदले पैसे दिए जाते हैं। सनी ने कहा कि उनके लिए दर्शकों का प्यार ही असली अवॉर्ड है।