सितार और उर्दू सीखी
सायरा बानो जब छोटी थी और लंदन में स्टडी कर रही थीं, तबसे ही उनका सपना था कि वह मिसेज दिलीप कुमार बनें। सायरा की मां नसीम बानो ने उनसे कहा था कि मिसेज दिलीप कुमार बनने के लिए वैसे ही शौक पैदा करने चाहिए, जैसे दिलीप साहब को हैं। सायरा को जब पता चला कि दिलीप साहब को सितार का बेहद शौक है, और वह उर्दू में माहिर है तो उन्होंने सितार और उर्दू सीखना शुरू कर दिया।
रोमांटिक लव स्टोरी
सायरा ने बताया था कि 23 अगस्त, 1966 को उनके जन्मदिन पर दिलीप कुमार आये थे जो उनकी जिंदगी का सबसे अच्छा गिफ्ट था। उस रात को फर्स्ट टाइम उन्होंने मुझे नोटिस किया। उसके दूसरे दिन उनका फोन आया, कि कल का डिनर बहुत अच्छा था और उसके लिए शुक्रिया। बस वहीं से हमारे मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। वे मद्रास से आते और हमारे यहां डिनर वगैरह करके साइट पर शूटिंग के लिए चले जाते थे। उसके बाद आठ दिन तक यह रोमांस चला है। पूरे आठ दिन बाद उन्होंने मुझे प्रपोज किया। मेरी मां, मेरी दादी के पास गए और उनसे बोले कि मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूं। जिसे 12 वर्ष की उम्र से चाहा और उसी का साथ मिल गया, यह तो कायनात की मेहरबानी ही है। मैं उनकी इतनी दीवानी थी कि मुझे अपने लंदन में स्कूल डेज के दौरान लिटरली उनके डे ड्रीम तक आते थे। वर्ष 1966 में ही सायरा ने दिलीप कुमार के साथ शादी कर ली। दिलीप कुमार के शादी करने के बाद भी सायरा बानु ने फिल्मों में काम करना जारी रखा।