scriptजन्मदिन के कुछ घंटे बाकी थे और आतंकवादियों ने गोलियों से भून डाला, Neerja Bhanot ने 360 लोगों की जान बचाकर आखिरी सांस ली | Know about heroine of hijack Neerja Bhanot bravery story | Patrika News
बॉलीवुड

जन्मदिन के कुछ घंटे बाकी थे और आतंकवादियों ने गोलियों से भून डाला, Neerja Bhanot ने 360 लोगों की जान बचाकर आखिरी सांस ली

5 सितंबर 1986 की बात की है। पैन एम फ्लाइट की अटेंडेंट नीरजा भनोट थीं। विमान के सारे टिकट बुक थे और यात्री मुंबई से अमेरिका जा रहे थे। पाकिस्तान के कराची में विमान को आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया।

Sep 05, 2020 / 10:53 pm

Sunita Adhikari

Neerja Bhanot Bravery Story

Neerja Bhanot Bravery Story

नई दिल्ली: नीरजा भनोट… ये एक ऐसा नाम है, जो साहस और हिम्मत का प्रतीक है। 7 सितंबर 1963 में जन्मीं नीरजा ने 5 सितंबर 1986 को दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन वह साबित कर गईं कि जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं।
5 सितंबर 1986 की बात की है। पैन एम फ्लाइट की अटेंडेंट नीरजा भनोट थीं। विमान के सारे टिकट बुक थे और यात्री मुंबई से अमेरिका जा रहे थे। पाकिस्तान के कराची में विमान को आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया। आतंकवादियों का मकसद अमेरिकियों को अपना निशाना बनाना था। उस वक्त विमान में 380 यात्री और 13 क्रू मेंबर्स थे। आतंकवादी इस विमान को इजरायल ले जाना चाहते थे और उनकी मंशा इस प्लेन को किसी बिल्डिंग से क्रैश कराने की थी। नीरजा को जैसे ही हाईजैक का पता चला उन्होंने तुरंत इंटरकॉम पर विमान के कॉकपिट क्रू को हाईजैक कोड के जरिए जानकारी दी। जिसके बाद कॉकपिट क्रू इमरजेंसी गेट से तुरंत बाहर निकलकर चले गए।
इसके बाद नीरजा भनोट और क्रू के बाकी सदस्यों ने 17 घंटों तक यात्रियों को बचाने का पूरा प्रयास किया। हाईजैकर्स ने नीरजा से सभी यात्रियों का पासपोर्ट जमा करने को कहा ताकि वह अमेरिकियों को पहचान सकें। लेकिन नीरजा ने अपनी सूझबूझ से सभी पासपोर्ट छिपा दिए। नीरजा काफी वक्त तक आतंकवादियों से जूझती रहीं और आखिर में मौका पाकर उन्होंने यात्रियों को प्लेन के आपातकालीन द्वार से बाहर निकालना शुरू कर दिया। लेकिन वह खुद फ्लाइट से नीचे उतरतीं, उससे पहले आतंकवादियों ने उन्हें देख लिया और नीरजा पर गोलियां चला दीं जिसके बाद नीरजा ने आखिरी सांस ली। उस वक्त नीरजा की उम्र केवल 22 साल की थी।
7 सितंबर को कुछ ही वक्त बचा था। नीरजा का 23वां जन्मदिन था लेकिन उससे पहले ही आतंकवादियों ने नीरजा को मार दिया। लेकिन जाते-जाते नीरजा भनोट ने कई यात्रियों की जान बचाई। नीरजा को इस साहसी काम के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान ने ‘तमगा-ए-इंसानियत’से नवाजा। अमेरिका ने उन्हें ‘जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। वहीं, भारत में उन्हें अशोक चक्र से नवाजा गया। वह अशोक चक्र से सम्मानित होने वाली भारत में सबसे कम उम्र की पहली युवा शख्स बनीं। मुंबई के घाटकोपर के एक चौक का नाम नीरजा भनोट चौक है। इसके साथ ही पूरी दुनिया में नीरजा भनोट को ‘हीरोइन ऑफ हाइजैक’ के नाम से भी जाना जाता है।

Home / Entertainment / Bollywood / जन्मदिन के कुछ घंटे बाकी थे और आतंकवादियों ने गोलियों से भून डाला, Neerja Bhanot ने 360 लोगों की जान बचाकर आखिरी सांस ली

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो