बात, साल 1983 की है, जब मॉस्को फिल्म फेस्टिवल में मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म ‘डिस्को डांसर’ को चुना गया था। इस फिल्म का निर्देशन बब्बर सुभाष ने किया था। फिल्म में म्यूजिक नए दौर का था। फिल्म को देख ऑडिटोरियम में बैठे तीन हजार से ज्यादा लोगों ने तालियां बजायी। यही नहीं, वे सभी टाइटल ट्रैक पर नाचें भी। ये देख सुभाष हैरान गए। फिल्म की कहानी फिल्मी दुनिया के चलते भारत और रूस के संबंधों में आई मजबूती पर आधारित थी। इसने न सिर्फ बॉलीवुड फिल्मों के दर्शक बढ़ाए बल्कि पूरे देश को भारतीय फिल्मों का दीवाना बना दिया।
डिस्को डांसर के लिए सोवियत संघ में 12 करोड़ टिकट बिके थे। इसको लेकर व्हाट्सएप के यूक्रेन मूल के को-फाउंडर जेन कूम ने बताया था कि बचपन में उन्होंने कीव में रहते हुए कम से कम 20 बार इस फिल्म को देखा था। दरअसल, शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ में हॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध लग गया था। सोवियत सरकार ने 1950 के दशक से भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देना शुरू किया। रूस के लोगों में भारतीय फिल्मों और एक्टर्स के लिए दीवानगी इस कदर बढ़ी, कि यूट्यूब पर रूस फैंस ने मिथुन चक्रवर्ती के नाम पर चैनल बनाना शुरू कर दिया। मिथुन के ‘जिम्मी जिम्मी’ गाने को आज भी खूब पसंद किया जाता है।