मुंबई। वर्ष 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों के मामलेे में हथियार रखने के जुर्म में सजा काट रहे अभिनेता संजय दत्त गुरुवार को रिहा हो रहे हैं। इस बात से न सिर्फ उनका पूरा परिवार, बल्कि बॉलीवुड और उनके फैंस में खुशी की लहर है। लेकिन उनकी रिहाई को लेकर दूसरी ओर नाराजगी भी देखने को मिल रही है। दरअसल उनकी रिहाई से एक दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर सजा में कमी करके समय से पहले रिहा किए जाने के फैसले का चुनौती दी गई है। आरोप लगाया है कि संजय दत्त को सेलेब होने के चलते छूट दी जा रही है।
समाजसेवी प्रदीप भालेकर की ओर से दाखिल जनहित याचिका में उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह संजय की सजा में कमी के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को कैंसिल कर दें और अभिनेता को फिर से हिरासत में लिए जाने के आदेश दें ताकि वह उच्चतम न्यायालय की ओर से सुनाई गई अपनी पांच साल की सजा की पूरी अवधि जेल में बिताएं।
याचिकाकर्ता के वकील नितिन सत्पुते की मानें, तो संजय दत्त की सजा में की गई कमी गलत और गैर-कानूनी है। वह कौन-सा अच्छा व्यवहार और आचार-विचार है, जिसे उनकी सजा में कमी का आधार बनाया गया है? मामूली अपराधों के अन्य दोषियों का क्या होगा, जो सालों से जेल में सड़ रहे हैं। उनके परिजनों ने भी सजा में कमी की अर्जियां दाखिल कर रखी हैं, लेकिन उन पर कोई उचित आदेश नहीं दिया गया। इसलिए, क्योंकि वो आम आदमी हैं। उनकी पहुंच ऊपर तक नहीं है।
गौरतलब है कि संजय ने मई 2013 में उस समय आत्मसमर्पण किया था, जब उच्चतम न्यायालय ने 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों के मामलेे में हथियार रखने के जुर्म में सत्र अदालत की ओर से उन्हें सुनाई गई सजा बरकरार रखी थी। संजय अपनी कुल सजा पूरी होने से करीब 103 दिन पहले कल रिहा होंगे। इतना ही नहीं सजा के दौरान संजय दत्त पैरोल में तकरीबन 120 दिन बाहर रहे हैं। सबसे दिसम्बर 2013 में उन्हें 90 दिन की पैराल मिली थी, जबकि उसके बाद 30 दिन का पैराले और मिला था।
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