अनुराग ने कहा,’एक फिल्म को फिल्म की तरह ही देखा जाना चाहिए। हर बार ऐसा क्यों सोचा जाता है कि वह प्रेरणात्मक ही होगी? यह एक व्यक्ति की कहानी है और वास्तविकता में भी ऐसे लोग हैं। मैंने कबीर सिंह जैसे लोगों को देखा है। ऐसा हर बार संभव नहीं है कि फिल्म संदेश देने वाली ही हो।’