उन्होंने कहा, “हमारे समाज में कई खंडित रेखाएं हैं, जो स्वभाविक भी है, क्योंकि भारत के समाज में परिवर्तन होता रहा है। एक समय में तय किए गए नियम टूट रहे हैं। और उन नियमों को तोडऩे की प्रक्रिया में दरारें आती हैं और इसलिए फिल्म को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, फिल्म में कोई राजनीतिक चीज नहीं है, तो बेचारे फिल्मकार को सेंसर क्यों किया जा रहा है। उनका यह इरादा नहीं था।”
कपूर ने साथ ही कहा कि वह सेंसरशिप के खिलाफ नहीं है। इस दौरान उन्होंने याद किया कि उन्हें अपनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ को रिलीज कराने के लिए भी लंबी कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ी थी। इसमें कोई दोराय नहीं कि शेखर कपूर की फिल्म रिएलिस्टिक थी, लेकिन फिल्म में जिस तरह से गालियों की भरमार थी…इससे पहले हिंदी सिनेमा में ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था। चूंकि फिल्म की कहानी के अनुसार गालियां जायज थीं, क्योंकि फिल्म से यदि गालियां हटा दें, तो फिल्म में कुछ बचता ही नहीं। यही वजह थी कि फिल्म को रिलीज करने की अनुमति मिली थी। शेखर कपूर बेशक पद्मावती का बचाव कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी फिल्म ‘बैडिट क्वीन’ से ‘पद्मावती’ की तुलना नहीं की जा सकती है। विवाद सही है या गलत…यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन दोनों फिल्मों की पृष्ठभूमि अलग है। जहां तक ‘पद्मावती’ की बात है, तो यह फिल्म १ दिसम्बर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विवाद को देखकर इसकी रिलीजिंग डेट को आगे बढ़ा दिया गया। अभी फिलहाल फिल्म की नई तारीख तय नहीं हुई है। खैर, जिस तरह से फिल्म को लेकर विवाद गहराता ही जा रहा है, ऐसे में एक सवाल तो बनता है कि क्या आप भी इस फिल्म को बैन करने के पक्ष में हैं या फिर आप इसे रिलीज होते देखना चाहते हैं। आप अपना कमेंट नीचे दिए बॉक्स में साझा कर सकते हैं।