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जब बीमार लड़की ने कहा, अगर मुकेश गाना गाकर सुनाएं तो मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी..

निजी जिंदगी मे भी वह बेहद संवेदनशील इंसान थे और दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझकर उसे दूर करने का प्रयास करते थे।

Aug 27, 2018 / 02:26 pm

Mahendra Yadav

Mukesh

Mukesh

बॉलीवुड के महान सिंगर मुकेश ने दिलकश आवाज से लोगों के दिल जीते। आज भी उनके गाने बड़े चाव से सुने जाते हैं। मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था। वे शुरुआत में सिंगर नहीं बल्कि अभिनेता बनना चाहते थे लेकिन उनकी किस्मत में महान सिंगर बनना ही लिखा था। बतौर अभिनेता उन्होंने फिल्मों में काम भी किया लेकिन सफल नहीं हो पाए। इसके बाद उन्होंने सिंगिंग में ही कॅरियर बनाने की ठानी।

फिल्म ‘अंदाज’ से बनाई अपनी अलग पहचान:
सहगल की गायकी के अंदाज से प्रभावित रहने के कारण शुरुआती दौर की अपनी फिल्मों में वह सहगल के अंदाज मे ही गीत गाया करते थे लेकिन वर्ष 1948 मे नौशाद के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘अंदाज’ के बाद मुकेश ने गायकी का अपना अलग अंदाज बनाया। मुकेश के दिल में यह ख्वाहिश थी कि वह गायक के साथ साथ अभिनेता के रूप मे भी अपनी पहचान बनाएं। बतौर अभिनेता वर्ष 1953 मे प्रदर्शित ‘माशूका’ और वर्ष 1956 मे प्रदर्शित फिल्म ‘अनुराग’ की विफलता के बाद उन्होने पुन: गाने की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया। इसके बाद वर्ष 1958 मे प्रदर्शित फिल्म ‘यहूदी’ के गाने ‘ये मेरा दीवानापन है..’ की कामयाबी के बाद मुकेश को एक बार फिर से बतौर गायक पहचान मिली। इसके बाद मुकेश ने एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

जब बीमार लड़की ने कहा, अगर मुकेश गाना गाकर सुनाएं तो मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी..

200 से ज्यादा फिल्मों में गाये गाने:
मुकेश ने अपने तीन दशक के सिने कॅरियर में 200 से भी ज्यादा फिल्मों के लिए गीत गाये। मुकेश को उनके गाये गीतों के लिए चार बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ प्लेबैक सिंगर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा वर्ष 1974 मे प्रदर्शित ‘रजनी गंधा’ के गाने ‘कई बार यू हीं देखा..’ के लिये मुकेश नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किए गए। राजकपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के गाने ‘चंचल निर्मल शीतल..’ की रिकार्डिंग पूरी करने के बाद वह अमरीका में एक कंसर्ट में भाग लेने गए जहां 27 अगस्त 1976 को दिल का दौरा पडऩे से उनका निधन हो गया।

मुकेश की मौत से राजकपूर को पहुंचा गहरा दुख:
उनके अनन्य मित्र राजकपूर को जब उनकी मौत की खबर मिली तो उनके मुंह से बरबस निकल गया, ‘मुकेश के जाने से मेरी आवाज और आत्मा दोनों चली गई।’ दर्द भरे नगमों के बेताज बादशाह मुकेश के गाये गीतों मे जहां संवेदनशीलता दिखाई देती है वहीं निजी जिंदगी मे भी वह बेहद संवेदनशील इंसान थे और दूसरों के दुख—दर्द को अपना समझकर उसे दूर करने का प्रयास करते थे।
बीमार लड़की ने की मुकेश का गाना सुनने की फरमाइश:
एक बार एक बीमार लड़की ने अपनी मां से कहा कि अगर मुकेश उन्हें कोई गाना गाकर सुनाएं तो वह ठीक हो सकती है। मां ने जवाब दिया कि मुकेश बहुत बड़े गायक हैं, उनके पास आने के लिए कहां समय है और अगर वह आते भी हैं तो इसके लिए काफी पैसे लेंगे। तब उसके डॉक्टर ने मुकेश को उस लड़की की बीमारी के बारे में बताया। मुकेश तुरंत लड़की से मिलने अस्पताल गए और उसे गाना गाकर सुनाया और इसके लिए उन्होंने कोई पैसा भी नहीं लिया। लड़की को खुश देखकर मुकेश ने कहा, ‘यह लड़की जितनी खुश है, उससे ज्यादा खुशी मुझे मिली है।’

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