कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मुकुल मिश्रा ने बताया कि बदायूं के मेडिकल कॉलेज के लिए शासन की ओर से 650 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत है। जिसमें से करीब 360 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं। लेकिन काफी समय से आगे का बजट न मिल पाने के कारण अस्पताल का काम रुका पड़ा है। इस कारण इसे मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया से मान्यता भी नहीं मिल पायी है।
डॉ. मुकुल मिश्रा से जब पूछा गया कि योगी सरकार के कार्यकाल में बजट नहीं मिल रहा है तो उन्होंने बताया कि अगर तथ्यों पर नजर डाली जाए तो काम दिसंबर 2016 से ही रुका पड़ा है। जब उनसे पूछा गया कि बचा हुआ काम कब तक पूरा कर दिया जाएगा? तो उन्होंने कहा कि यहां से जाते ही मैं जल्द से जल्द शासन को रिपोर्ट सौंप दूंगा। वहीं निर्माण इकाई का कहना है कि यदि उन्हें समय से धन मिल जाता है तो वे तीन से छह महीने में इतना निर्माण कार्य पूरा कर देंगे जिससे इस मेडिकल कॉलेज को एमसीआई की मान्यता मिल जाए और इसकी शुरुआत हो जाए।
जब उनसे पूछा गया कि गोरखपुर हादसे के बाद क्या सबक लिया तो उनका कहना था कि शासन की यही कोशिश है कि ऐसे हादसे दोबारा न हों। इसके लिए प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में वहां की कमियों को समझने और उसे दूर करने के लिए शासन की ओर से टीमें भेजी गई हैं।