मनोकामना होती है पूरी इस मंदिर का निर्माण पंडित बलदेव प्रसाद शर्मा ने कराया था और अब उनके बाद उनके वंशज इस मंदिर की देख रेख व पूजन करते हैं। पंडित बलदेव शर्मा शिवभक्त थे और वो शिवभक्तों का बहुत सम्मान करते थे। रावण भी शिवभक्त था इस लिए उन्होंने रावण के मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में रावण की आदमकद प्रतिमा विराजमान है जहाँ उसकी विधिवत पूजा होती है। इसके पीछे तर्क यह है कि रावण शिव का भक्त था और शिव जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था। मंदिर में सेवा करने वाली सावित्री शर्मा बताती है कि इस मंदिर का निर्माण उनके फूफा बलदेव शर्मा ने कराया था और वो पिछले 22 साल से मंदिर में सेवा कर रही हैं। उनका कहना है कि इस मंदिर में पूजा अर्चना करने से भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं। जिनके विवाह में कोई बाधा या समस्या आती है वो यहां पर आकर पूजा करते हैं जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण होती है और शादी में आने वाली बाधा दूर हो जाती है। मनोकामना पूर्ण होने के बाद भक्त यहां पर चढ़ावा भी चढ़ाते हैं।
मंदिर में अन्य मूर्तियां भी हैं स्थापित रावण के मंदिर में रावण के साथ ही अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर भगवान शिव की प्रतिमा के साथ ही शिवलिंग और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं।