वर्तमान में राष्ट्रपति को प्रति माह 1.5 लाख रुपए, उप राष्ट्रपति को 1.25 लाख रुपए और राज्यपाल को 1.10 लाख रुपए वेतन मिलता है। बजट घोषणा में इन लोगों को वेतन तीन गुणे से भी अधिक बढ़ा दिया गया है। यह बढ़ोतरी उस समय है जबकि सरकार का घाटा 2017-18 में 5.95 लाख करोड़ रुपए का है जो जीडीपी का 3.5 फीसद है। इसके बावजूद संवैधानिक पदों लोगों के वेतन में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्री की घोषण के बाद राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपए होगा, उप-राष्ट्रपति का वेतन 4 लाख और राज्यपाल का वेतन 3 लाख रुपए होगा।
वर्ष 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कैबिनेट सचिव का वेतन 2.5 लाख रुपये प्रति माह है जबकि केंद्र सरकार के सचिव का वेतन 2.25 लाख रुपये प्रति माह है। इससे अब एक अहम संवैधानिक प्रश्न खड़ा हो गया था कि संविधान के सर्वोच्च पद पर बैठक व्यक्ति से ज्यादा सेलरी एक नौकरशाह की कैसे हो सकती है। इसको लेकर बहस का दौर भी चला था। उसके बाद वेतन में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस आशय के विधेयक संसद में पेश किया गया था।
इसके पहले आखिरी बार 2008 में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और राज्यपाल के वेतनों में वृद्धि हुई थी। जब संसद ने तीन गुना वृद्धि को मंजूरी दी थी। उस समय पूर्व राष्ट्रपतियों, दिवंगत राष्ट्रपति की पत्नी या पति, पूर्व उप राष्ट्रपतियों, दिवंगत उपराष्ट्रपति की पत्नी या पति और पूर्व राज्यपालों के पेंशन में वृद्धि के लिए भी प्रस्ताव शामिल था।