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बुलंदशहर

Kalyan Singh Live: अलविदा बाबूजी, पंचतत्व में विलीन हुआ पार्थिव शरीर

Kalyan Singh Live नरौरा घाट पर पंचतत्व में विलीन हुआ पूर्व सीएम कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन के इस मौके पर अपनी आंखों से आंसुओं को नहीं रोक पाए लोग। एक झलक पाने के लिए बेताब लोगों को रोकने के लिए लगाने पड़े सुरक्षाकर्मी

बुलंदशहरAug 23, 2021 / 06:54 pm

shivmani tyagi

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kalyan singh

बुलंदशहर ( bulandshar ) दलित चिंतक और यूपी में भाजपा की राजनीति के पुरोधा कल्याण सिंह ( Ex Cm Kalyan Singh ) का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। अन्ंत यात्रा दोपहर के समय बुलंदशहर के नरौरा घाट पहुंची। यहां अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। व्यवस्था बनी इसके लिए भीड़ को सुरक्षा बलों को लगाना पड़ा। यहां रोके जाने के बावजूद लोग किसी भी तरह कल्याण सिंह की एक झलक देखने के लिए बेताब थे।

राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम सलामी

अनंत यात्रा के नरौरा घाट पहुंचने पर कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ आखिरी सलामी दी गई। इसके बाद तिरंगा परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया और शव को चिता पर लेटाया गया। इस दौरान घाट के बाहर बार-बार भीड़ बेकाबू होती दिखी जो उनके अंतिम दर्शन करना चाहती थी। अंदर मंत्रोउपचार चल रहा था और बाहर समर्थक जय श्री राम, जब तक सूरज चांद रहेगा कल्याण तेरा नाम रहेगा के नारे लगाते रहे।

इन्होंने दी अंतिम श्रद्धांजलि

अलीगढ़ से अनंत यात्रा शुरू हुई तो नरौरा घाट तक हजारों की संख्या में लोगों ने कल्याण सिंह ( former chief minister kalyan singh ) को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। यात्रा के नरौरा घाट पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में लोग यहां उन्हे श्रद्धाजंलि देने के लिए एकत्र हो गए थे। जब यात्रा पहुंची तो भारी भीड़ हो गई और भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्य रूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई दिग्गज नेताओं ने श्रद्धाजंलि दी।

विधि विधान से हुआ अंतिम संस्कार

कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार वैदिक रीति रिवाज से हुआ। दाह संस्कार के लिए 25 किलो चंदन की लकड़ियां लगाई गई। 11 आचार्यों ने अंतिम संस्कार वैदिक रीति रिवाज से सम्पन्न कराया। अंतिम संस्कार में चंदन के अलावा ढक, पीपल व आम की लकड़ी का उपयोग किया गया। आचार्य रणधीर शास्त्री, दीपक शास्त्री, आचार्य अविनाश शास्त्री, नरपत सिंह, सुभाष कुमार आर्य, महेंद्र देव हिमांशु, मवासी सिंह शास्त्री, मनोज कुमार शास्त्री, जनेश कुमार, सत्यप्रकाश आदि ने विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार कराया।

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