कौन कहता है आसमान में सुराग नहीं होता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…जी हां कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बुलन्दशहर ऋषभ दत्त ने। ऋषभ ने पहले ही टर्म में अपनी लगन और मेहनत के बल पर भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के आये नतीजों में देश में पांचवी रैंक पर चुना गया है।
ऋषभ की इस कामयाबी के पीछे उसके परिवार का भी बड़ा योगदान है। इस होनहार के साथ मेहनत करने में जहां कोई कोर कसर नहीं छोड़ी तो वहीं ,पिता की सख्ती और उनके चाचा का मार्गदर्शन ने ऋषभ की राह को आसान बना दिया। ऋषभ के पिता वेटनरी चिकित्सकहैं और लम्बे समय से परिवार बुलंदशहर में ही रहता है। ऋषभ ने हाल ही दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से बीटेक कम्प्लीट की थी।
ऋषभ के पिता, चाचा और परिवार के अन्य सदस्यों से बातचीत के दौरान बताया कि जहां आजकल एकल परिवार स्थापित होते जा रहे हैं वहीं ऋषभ का परिवार ज्वाइंट हैं। ऋषभ के पिता ने बताया कि जो भी पढ़ाई के पैरामीटर्स घर में बनाये गए उन्हें ऋषभ ने माना और कड़ी मेहनत और लगन के बल पर उचित मार्गदर्शन के बल पर ऋषभ ने खुद को साबित करके दिखा दिया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऋषभ ने स्टडी रूम में टेलीविजन नहीं लगने दिया औप ऋषभ ने प्रतिदिन जमकर पढ़ाई की तो वहीं विषयों पर पकड़ और कोचिंग लेना भी कारगर सिद्ध हुआ। ऋषभ शहर के ही निजी स्कूलों से ही 10वीं और 12वीं कि पढ़ाई की थी।
उनके चाचा ने खुशी का इजहार करते हुए बताया कि उन्हें फक्र है कि उनके भतीजे ने खुद को साबित किया है। पूरे देश में आईइएस में पांचवीं रैंक लाने में ऋषभ ने हमेशा 12 से 14 घण्टों की प्रतिदिन एकांत में तैयारी की थी। ऋषभ के चाचा जिले के शिकारपूर में भौतिक विज्ञान के लेक्चरर हैं तो वहीं ऋषभ की मां हाउस वाइफ,परिवार के छोटे बच्चों में भी अब यही भावना आ रही है कि उन्हें भी अपने भाई की तरह ही मेहनत करनी है। पहले ही प्रयास के बाद मिली सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है। घर में परिवार के सदस्यों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।