बुलंदशहर में इन दिनों घर में जाने वाला पानी जहरीला यानी अब वह पीने योग्य नहीं रह गया है। लोगों के घरों में पहुंचने वाला पानी हल्के पीले रंग का है और यह पीने में बहुत ही खारा है। इसकी शिकायत लोगों ने कई बार नगर पालिका चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी से की है मगर पालिका अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी। आखिर इस सब की वजह क्या है? बता दें कि मई 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने भाजपा सभासद की शिकायत के बाद एसडीएम की मौजूदगी में नगर पालिका ने शहर में अलग-अलग स्थानों से पानी के सैंपल लिए थे। जिनको लखनऊ यूसी गंगवार फूड एनालिस्ट में जांच के लिए भेजा गया था। लखनऊ यूसी गंगवार फूड एनालिस्ट ने बुलंदशहर के सैंपलों को जांच के दौरान इस पानी को मानव के पीने के लिए खतरनाक बताया गया। बता दें कि जांच रिपोर्ट के खुलासे के बाद भी शहर के लोग आज भी जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।
बुलंदशहर की मोहन कुटी और इस्लामाबाद के रहने वाले धर्मवती, गिरीश कुमार गुप्ता, मनोज कुमार की माने तो सरकारी टंकी से आने वाला पानी पीला, गंदा और खारा होता है। लोगों का कहना है कि पानी में मिट्टी आ रही है साथ ही कभी-कभी पानी में कीड़े भी आ जाते हैं। साथ ही लोगों का कहना है कि पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है। पानी कपड़े धोने के लिए तो है लेकिन पीने के लिए नहीं हैं। कभी-कभी तो पानी में बदबू भी आती है। कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है।
बता दें कि इस मामले की शिकायत बीजेपी के सभासद सुनील कुमार 18 मार्च 2015 में जिला प्रशासन से की थी। उन्होंने बताया कि पानी में जो क्लोरीन मिलाया जा रहा था वो क्लोरीन तीन साल पुराना था। शिकायत के बाद जिलाधिकारी की तरफ से एक जांच कमिटी गठित की गई थी, जिसमें अपर जिलाधिकारी सदर बुलंदशहर, अभिहित अधिकारी खाद्य एवं औषधि प्रशासन बुलंदशहर की संयुक्त कमिटी बनाई गई थी। इस कमिटी ने पानी के सैम्पल लिए और सैम्पल को जांच के लिए यूसी गंगवार फूड एनालिस्ट लखनऊ भेज दिया। लखनऊ से आई जांच रिपोर्ट में पानी का सैम्पल फेल पाया गया था। बता दें कि जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा हुआ है कि पानी मानव के पीने योग्य नहीं हैं।
बीजेपी के सभासद सुनील कुमार ने कहा कि इस मामले में जब इतने समय बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो एक आरटीआई डाली गई। आरटीआई में पूछा गया कि इस मामले पर दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई हैं। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि इस मामले में किसी अधिकारी ने जांच की है, इस बात की जानकारी नही हैं। साथ ही लखनऊ से आई रिपोर्ट के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
जांच रिपोर्ट में पानी को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है, लेकिन 2015 से जहरीले पानी को लोग पीने के लिए मजबूर हैं। जिस की फिक्र ना तो जिला प्रशासन को है ना ही नगर पालिका को। वहीं ताज्जुब की बात तो ये है कि लखनऊ से आई जांच रिपोर्ट के बारे में भी अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी अपने काम के प्रति कितने संजीदा हैं। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों का भी रटा-रटाया जवाब है कि यह मामला तो आपसे ही संज्ञान में आया है अब इसकी जांच की जाएगी।
एडीएम प्रशासन अरविंद मिश्रा ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है, मामले की जांच की जायेगी। अगर कोई पानी की सैम्पलिंग हुई है और उसकी जो भी रिपोर्ट आई है। उसका अनुपाल सुनिश्चित किया जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को साफ पीने का पानी उपलब्ध करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। फिलहाल अभी जो पानी की सैंपलिंग की गई है उसकी रिपोर्ट देखेंगे और लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध करायेंगे।