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बूंदी

बस के लिए ‘बेबस’ ग्रामीण

गांव व शहरों का कितना भी विकास हो रहा हो, पर खटकड़ क्षेत्र के भाटा का खेड़ा गांव के लिए तो यह कोई मायने नहीं रखता।

बूंदीSep 09, 2018 / 09:49 pm

Nagesh Sharma

bas ke lie bebas graameen

बस के लिए ‘बेबस’ ग्रामीण

– आस-पास सभी गांवों में सड़क, भाटा का खेड़ा में दलदली राह
– प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया पर काम न आया
बूंदी.गांव व शहरों का कितना भी विकास हो रहा हो, पर खटकड़ क्षेत्र के भाटा का खेड़ा गांव के लिए तो यह कोई मायने नहीं रखता। इस गांव के लोग आज भी पक्के रोड की राह से बस के आने का इंतजार कर रहे हैं। मामला मात्र एक से डेढ़ किलोमीटर सड़क का है, लेकिन आजादी के ७० वर्ष बाद भी इस गांव में सड़क नहीं है।
इस गांव के बाशिंदे लेखराज सिंह लक्की, रूपसिंह, कमल सिंह समेत अन्य लोगों ने पत्रिका को बताया कि सड़क के अभाव में गांव का विकास थम गया है। इस बारे मंे कई बार जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करवाया, पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। मायजा की पुलिया तक ही बस आती है, इसके बाद छावनी बोरदा तक टेंपो आते हैं, लेकिन इसके बाद सड़क नहीं होने से गांव के लोगों को पैदल आना जाना पड़ता है। बरसात में दलदल व कीचड़ के कारण मुश्किल बढ़ जाती है।
यह गांव ख्वायदा ग्राम पंचायत में आता है। इस पंचायत के अधीन आने वाले शेष गावों में सड़क है। प्रशासन व जनप्रतिनिधि इस गांव के विकास पर ध्यान नहीं दे रहे। छावनी बोरदा से भाटा का खेड़ा की दूरी करीब एक से डेढ़ किलोमीटर है।
बीमारों की मुश्किल
लेखराज व रूप सिंह ने बताया कि गांव में अस्पताल नहीं है इस स्थिति में कोई बीमार हो जाए तो उसे दूसरे गांव में ले जाने के लिए चारपाही पर बिठाकर पैदल ही ले जाना पड़ता है। बरसात में आधे से एक फीट दलदल, कीचड़ व फिसलन हो जाती है, इस स्थिति में मुश्किल और भी बढ़ जाती है।
बच्चों की परेशानी
गांव में पहले पांचवीं कक्षा तक स्कूल था, यह बंद हो गया। अब बच्चे दूसरे गांव में पढऩे के लिए जाते हैं। हालातों के चलते बच्चों को गोत लगानी पड़ती है, बेटियों की भी समस्या है। कोई पढऩा भी चाहती है तो हर दिन उबड़-खाबड़ राह पर परीक्षा देनी पड़ती है। लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधि आस पास के गांवों में आकर चले जाते हैं, यहां नहीं आते। ग्रामीणों ने बताया कि अब यदि जल्द गांव में सड़क नहीं बनी तो ग्रामीण वोट नहीं देंगे।
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