प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने इंदिरा आवास योजना के तहत गरीबों को आवास दिलाने के लिए योजना शुरू की थी।जिसमें हर गरीब को सिर छिपाने के लिए छत नसीब कराने के उद्देश्य से ऐसे परिवार का चयन किया गया।
वर्ष २००२ की बीपीएल सूची में से आवासहीन परिवारों को इस योजना के लिए चयनित किया गया। बाद में वरीयता के आधार पर आवास निर्माण की स्वीकृति जारी की गई। बूंदी जिला परिषद से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते पांच वर्षों में जिले में ११ हजार सात सौ ३५ आवास स्वीकृत किए गए।
जिसमें से १० हजार ६०५ आवास बनकर तैयार हो गए। १२३० परिवारों ने आवास का निर्माण नहीं किया गया, जबकि मकान निर्माण के लिए इन परिवारों ने प्रथम किश्त की राशि उठा ली। बताया जा रहा है सरकार की ओर से मिली राशि को निजी कार्यों के काम ले ली बताई। हालांकि विभाग के अधिकारियों ने इन्हें समय-समय पर प्रेरित भी किया, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया।जब सारे प्रयास करने के बाद भी सरकारी राशि का उपयोग नहीं किया तो अब सरकार ने इन परिवारों से यह राशि वसूलने की तैयारी शुरू कर दी है।
जिला परिषद के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन परिवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। प्रथम किश्त में २२ हजार पांच सौ रुपए दिए गए थे। यह कारण आ रहे सामने
जानकारी के अनुसार जिले में आवास बनाने के लिए शेष बच रहे लाभार्थियों के खाते में प्रथम किश्त की राशि जमा करा दी गई, ऐसे में कोई आवास बनाने में रुचि नहीं दिखा रहा। कई लोग तो दूसरी जगहों पर पलायन कर गए।सरकार की ओर से मिली राशि को निजी कार्यों में काम ले लिया बताया।
ऐसे हुआ था चयन, सवाल भी उठे बीपीएल २००२ के सर्वे सूची में से निर्धारित मापदंड के अनुसार आवासहीन परिवारों की सूची बनाई गई। इन्हीं परिवारों के लिए आवास निर्माण के लिए सरकार ने राशि स्वीकृत की। निर्माण के लिए पैसा बैंक में जमा भी कराया गया। द्वितीय किश्त कुर्सी स्तर तक कार्य कराने के उपरान्त दी जानी थी।
ऐसे में जिन परिवारों ने निर्माण शुरू नहीं किया उन्हें राशि की दूसरी किश्त नहीं दी गई। हालांकि इस योजना पर शुरुआत से ही सवाल उठते रहे हैं। कई ऐसे जनों का चयन कर लेने के भी मामले सामने आए जिनके पास पहले से ही आवास थे या फिर वे सम्पन्न थे।
अब आवास प्रेरक करेंगे प्रेरित जिला परिषद के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आवास के लिए जारी राशि के बावजूद आवास नहीं बनाने वाले परिवारों के साथ अब प्रेरक समझाइश करेंगे। १० से २० घरों पर एक आवास प्रेरक लगाया जाएगा। जो लाभार्थी से सम्पर्क कर आवास बनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
यही नहीं लाभार्थियों को महात्मा गांधी नरेगा योजना में ९० दिन की मजदूरी भी दी जाएगी। इसके लिए पंचायत प्रसार अधिकारी व कनिष्ट तकनीकी सहायकों ने भी ऐसे परिवारों से मिलने का काम शुरू कर दिया।
इंदिरा आवास योजना में राशि लेने के बाद भी आवास निर्माण नहीं करने वाले परिवारों को प्रेरित कर रहे हैं।आवास नहीं बनाने का कारण पूछा जा रहा है। वे निर्माण पूरा करें प्रयास ऐसे हैं।
जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी जुगल किशोर मीणा ने बताया की जो लाभार्थी आवास बनाने में रुचि नहीं दिखा रहे उनसे राशि वसूलने की भी तैयारी है। जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।