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बूंदी

3.5 किमी लंबी टनल बनेगी, देश में पहली बार होगा तकनीकी का प्रयोग

भारतमाला परियोजना के तहत कस्बे की सखावदा घाटी से गुजरने वाले 8 लेन एक्सप्रेस वे के तहत साढ़े तीन किमी लंबी टनल का निर्माण किया जाएगा। निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो का कहना है कि एक्सप्रेस वे निर्माण में कई नवीन तकनीकों का प्रयोग पहली बार किया जाएगा।

बूंदीMay 16, 2021 / 09:04 pm

पंकज जोशी

3.5 किमी लंबी टनल बनेगी, देश में पहली बार होगा तकनीकी का प्रयोग

3.5 किमी लंबी टनल बनेगी, देश में पहली बार होगा तकनीकी का प्रयोग

3.5 किमी लंबी टनल बनेगी, देश में पहली बार होगा तकनीकी का प्रयोग
ध्वनि अवरोधक लगेंगे, नीदरलैंड की तर्ज पर जैव विविधता का रखा जाएगा ध्यान,
राकेश जैन
patrika.com
लाखेरी. भारतमाला परियोजना के तहत कस्बे की सखावदा घाटी से गुजरने वाले 8 लेन एक्सप्रेस वे के तहत साढ़े तीन किमी लंबी टनल का निर्माण किया जाएगा। निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो का कहना है कि एक्सप्रेस वे निर्माण में कई नवीन तकनीकों का प्रयोग पहली बार किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार परियोजना के तहत मेज नदी से इंद्रगढ़ के बीच करीब 11.50 किमी लंबे 8 लेन एक्सप्रेस वे का निर्माण का कार्य इन दिनों कोरोना की वजह से प्रभावित है। सखावदा घाटी से होकर गुजर रहे एक्सप्रेस वे का 5 किमी का हिस्सा भूमिगत टनल एवं एलीवेटेड रोड के रूप में होगा। एक्सप्रेस वे बनने के बाद इंजीनियरिंग का तो एक अदभुत नमूना होगा ही, साथ ही जैसे आस पास के क्षेत्र में लोग पर्यटन स्थलों के भ्रमण को जाते है वैसे ही इस एक्सप्रेस वे को लोग देखने आएंगे। एक्सप्रेस वे के 325 से 328 किमी जो वन्यजीवों की आवाजाही से गुजर रहा है। कुल पांच टुकड़ों में इस टनल को बनाया जाएगा। जिसकी कुल लंबाई 3.5 किमी होगी। टनल में पर्याप्त प्रकाश व वाहनों की सुरक्षा, चोरी चकारी की घटनाओं की रोकथाम की व्यवस्था भी प्राथमिकता से की जाएगी। टनल सीमेंट कंक्रीट की बनाई जाएगी और इसके बनने के बाद इसको पहाड़ी का रूप दिया जाएगा। उस पर आस पास की पहाडिय़ों पर लगे हुए पौधों का रोपण कर उनसे मिलान किया जाएगा।
बिशनपुरा में बनेगा रेस्ट एरिया
भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे एक्सप्रेस वे निर्माण में पीलिया की बावड़ी से आगे बिशनपुरा गांव के पास रेस्ट एरिया बनाया जाएगा, जो एक्सप्रेस वे के लेवल का ही बनेगा। रेस्ट एरिया एक्सप्रेस वे के दोनों और बनाया जाएगा। जिसकी चौड़ाई एक तरफ 300 मीटर एवं लंबाई 600 मीटर रहेगी। परियोजना के तहत इस की भूमि चिह्नित हो चुकी है। एक्सप्रेस वे निर्माण कंपनी एलएंडटी द्वारा इसका स्ट्रक्चर निर्माण किया जाएगा। जिसे पूर्णतया डवलप करने की जिममेदारी एनएचएआई की है। रेस्ट एरिया में पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट, टॉयलेट, लेटबाथ, पुलिस स्टेशन, प्राथमिक स्वास्क्य केंद्र, बैंक, एटीएम व अन्य रोजमर्रा के सामानों की दुकानें जो वाहन चालकों व यात्रियों के लिए उपयोगी होगी, बनाई जाएगी।
ध्वनि अवरोधक लगेंगे
वन्यजीवों के पैराफेरी क्षेत्र से निकल रहे एक्सप्रेस वे में वन्य जीव व जैव विविधता डिस्टर्ब ना हो, इसके लिए एनिमल अंडरपास व एनिमल ओवर पास बनाए जाएंगे। वाहनों के गुजरने के दौरान होने वाले ध्वनि प्रदूषण से वन्य जीव को बचाने के लिए दोनों लेनों की ओर ध्वनि अवरोधक यंत्र लगाए जाएंगे। जिनकी ऊंचाई टनल वाले क्षेत्र में 7 मीटर व एलीवेटेड रोड पर 3.5 मीटर रहेगी।
कैंपस में ही सुविधाएं
निर्माण कार्य को जोर शोर से गति देने के लिए कंपनी ने काफी तैयारियां कर रखी है। कैंपस स्थल पर प्राथमिक चिकित्सा व ट्रेनिंग सेंटर बनाया हुआ है। जिसमें कोविड 19 से बचाव की समस्त गाइडलाइन पालना व कार्य करने के दौरान सावधानियां बरतने के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। मजदूरों की सुरक्षा के लिए दवा, गोली, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, थर्मामीटर, बीपी, शुगर नापने के उपकरण व प्रशिक्षु नर्सिंगकर्मी व ऑन डिमांड चिकित्सक की सुविधा भी उपलब्ध है। यहां एक आरओ प्लांट भी लगाया गया है, जो शुद्ध पानी की आपूर्ति करता है। करीब 350-400 मजदूरों के आवास सहित भोजन संबंधी व्यवस्था भी कंपनी की ओर से उच्च मानकों के साथ की गई है।
वन्यजीवों एवं जैव विविधता बचाने के लिए नीदरलैंड की तर्ज पर बनेगी टनल
सखावदा घाटी में एक्सप्रेस वे निर्माण कर रही लार्सन एंड टुब्रो के तकनीकी अधिकारियों ने बताया कि सखावदा घाटी वन्यजीव क्षेत्र से गुजर रहे एक्सप्रेस वे में वन्यजीवों व जैव विविधता को बचाने के लिए करीब 5 किमी लंबा भूमिगत टनल व एलीवेटेड रोड के रूप में बनेगा। यह पहली टनल होगी जो समतल जमीन पर तैयार की जाएगी। जिसको बाद में मिट्टी डालकर पहाड़ी का रूप दिया जाएगा। उसके बाद पौधारोपण कर जंगल विकसित किया जाएगा। जिससे वह वन्यजीवों के रणथंभौर अभयारण्य व रामगढ़ अभयारण्य के आने जाने में सडक़ का आवागमन कही भी बाधा नहीं बनेगा। टनल के ऊपर मिट्टी डालकर पहाड़ी का रूप देने व एलीवेटेड रोड के नीचे पौधारोपण कर घनघोर जंगल बनाने से एक्सप्रेस वे निर्माण के बाद भी यहां पर पूर्व की तरह ही पेड़ पौधें व जंगली जानवर नजर आएंगे। इस तकनीक का उपयोग देश में पहली बार हो रहा है। पूर्व में यह तकनीक नीदरलैंड में प्रयोग की जा चुकी हैं।
3.5 मीटर चौड़ी होगी एक लेन
एक्सप्रेस वे 8 लेन का बनेगा। एक लेन की चौड़ाई 3.5 मीटर होगी। जिसमें एक तरफ की चार लेनों की चौड़ाई 46 फीट होगी। इस प्रकार दोनों ओर बनने वाली 8 लेनों की चौड़ाई 92 फीट होगी। दोनों लेनों के बीच 66 फीट का डिवाइडर गेप रहेगा। जिसमें पेड़ पौधे लगाए जाएंगे व भविष्य में यातायात दबाव बढऩे के साथ इस डिवाइडर गेप पर भी रोड बनाकर उपयोग लिया जा सकेगा।
महामारी में कार्य प्रभावित
एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य कोविड 19 महामारी से प्रभावित हो रहा है। महामारी के कारण श्रमिकों की अनुपलब्धता इसका एक मुख्य कारण है। निर्माण स्थल पर दर्जनों मशीने शांत खड़ी है। महामारी से श्रमिकों को बचाव के लिए निर्माण एजेंसी द्वारा उनके कार्यस्थल पर प्रवेश से पूर्व कोविड 19 का टेस्ट करवा रहे हैं। कंपनी ने 45 से अधिक आयु के सभी श्रमिकों का टीकाकरण करवा दिया है। साथ ही 18-45 आयुवर्ग के श्रमिकों का स्थानीय स्तर पर सुविधा ना होने पर कोटा व माधोपुर भेजकर टीकाकरण करवाया जा रहा है। एक्सप्रेस वे निर्माण के नजदीक देवपुरा गांव में कंपनी ने आइसोलेशन व क्वॉरंटीन सेंटर बनाया हुआ है।

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