बूंदी की बायपास सडक़ से सटी पहाड़ी पर स्थित सूरज छतरी सोमवार को 347 वर्ष की हो गई।
बूंदी•May 25, 2020 / 07:42 pm•
पंकज जोशी
347 वर्ष की हुई सूरज छतरी
347 वर्ष की हुई सूरज छतरी
सालगिरह आज, सेव आवर हेरिटेज कैम्पेन ने तलाशा इतिहास
बूंदी. बूंदी की बायपास सडक़ से सटी पहाड़ी पर स्थित सूरज छतरी सोमवार को 347 वर्ष की हो गई।
जानकारों के मुताबिक छतरी का निर्माण तत्कालीन बूंदी राजवंश की राजमाता श्याम कंवर राठौड़ (बीकानेर के राजा दलपत सिंह की पुत्री) ने अपने पुत्र महाराव भाव सिंह के शासन काल में अपने पति महाराव छत्रशाल सिंह की स्मृति में करवाया था। इस छतरी के निर्माण में 3 वर्ष लगे थे। बाद में सुबेदार रामचंद्र की देखरेख में विक्रम सम्वत 1730 ज्येष्ठ सुदी तीज सन् 1673 में स्थापना की गई थी। यह बूंदी शहर के पश्चिम में सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। शहर की पहली सूर्य की किरण इसी छतरी पर पड़ती है। इस कारण यहां से सूर्योदय व सूर्यास्त देखने का रोमांच सबसे अनोखा व सुंदर है। इस छतरी की स्थापत्य कला अपने आप में अनोखी है। इस छतरी के गर्भ में स्थित भगवान सूर्यनारायण की प्रतिमा की सुंदरता व विशाल आकार की मूर्ति भारतवर्ष में कहीं और देखने को नहीं मिलती। जिसमें पद्मासन में बैठे भगवान सूर्य, उनका रश्मि रथ, सात घोड़े, रथ के सारथी भगवान अरुण सुंदरता से उकेरे गए हैं। मूर्ति की लम्बाई करीब 5 फीट 8 इंच है।
युवा कर रहे जागरूक
सेव आवर हेरिटेज कैम्पेन से जुड़े युवा ऐसे स्थानों को लेकर शहर के लोगों को जागरूक कर रहे हैं। संगठन की शुरुआत इसी स्थान से की और सबसे पहले इसी छतरी को संवारा गया। इसी का परिणाम रहा कि बड़ी संख्या में लोग छतरी पर जाने लग गए।
इस छतरी की भव्यता को सभी लोगों को समझना चाहिए। सरकार इसे अपने हाथ में लें। इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
अरिहंत सिंह शेखावत, सेव आवर हेरिटेज टीम, बूंदी