अब विभाग से बजट का इंतजार
गांव में कोई ऐसा सामुदायिक भवन, मन्दिर या धर्मशाला नही है। जिसमें बच्चों को बैठाया जा सके। जिससे विद्यालय आसमान के नीचे खुले में ही चल रहा है। पुराना भवन जिस भूमि पर बना हुआ था, वह भूमि भी दानदाता केसरसिंह के खातें की भूमि थी। गांव में विद्यालय भूमि उपलब्ध नहीं हो पाने से नये भवन के लिए राशि का आवंटन नहीं हो पा रहा था। विद्यालय प्रबंधन समिति, अध्यापकों व ग्रामवासियों के आग्रह पर गांव के नौनिहालों व विद्यालय हित में भवन निर्माण के लिए भूमिदान कर 17 जून को करवर नायब तहसील कार्यालय में उपपंजीयक से दान की 11 बिस्वा भूमि की विद्यालय के नाम रजिस्ट्री करवा दी। भूमि उपलब्ध हो जाने से अब आसमान के नीचे पढ़ रहे नौहिालों को बैठाने के लिए भवन निर्माण के लिए बजट स्वीकृत होने का इंतजार है।
बड़ी खुशी महसूस कर रहा
भूमि दान करने वाले केसरसिंह राजपूत का कहना है कि गांव में चालीस वर्ष से उनकी भूमि पर ही विद्यालय चल रहा था। पुराना भवन ढह जाने से गांव के नौनिहालों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही थी। अपनी भूमि पर शिक्षा मन्दिर बनाने का अध्यापकों व ग्रामीणों की ओर से प्रस्ताव आया तो सहर्ष स्वीकार करके अपनी 11 बिस्वा भूमि को दान करके मुझे बहुत खुशी मिली। अब गांव का कोई बच्चा बिना पढ़े नहीं रहेगा।
प्रधानाध्यापक का कहना
विद्यालय के प्रधानाध्यापक गजेन्द्र वर्मा ने बताया कि विद्यालय में वर्तमान में 66 बच्चों का नामांकन है। भवन के अभाव में विद्यालय खुले आसमान के नीचे ही चल रहा है। भवन निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध हो जाने से नये भवन के निर्माण का रास्ता खुल गया है। भूमि उपलब्ध होते ही विभाग के उच्चाधिकारियों को भवन निर्माण के लिए बजट उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेज दिया है। अब विद्यालय भवन निर्माण के लिए बजट का इंतजार है।