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बूंदी

भामाशाह बीमा योजना का नहीं मिल रहा लाभ

बड़ाखेड़ा. ऊंट को सरकार ने राज्य पशु तो घोषित कर दिया, लेकिन इससे होने वाली आय पर निर्भर पशुपालक परिवारों पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

बूंदीJul 12, 2020 / 07:54 pm

पंकज जोशी

भामाशाह बीमा योजना का नहीं मिल रहा लाभ

भामाशाह बीमा योजना का नहीं मिल रहा लाभ

भामाशाह बीमा योजना का नहीं मिल रहा लाभ
बड़ाखेड़ा. ऊंट को सरकार ने राज्य पशु तो घोषित कर दिया, लेकिन इससे होने वाली आय पर निर्भर पशुपालक परिवारों पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राज्य सरकार की योजनाएं व उनसे मिलने वाले लाभ बंद होने से ऊंट पालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा हालातों में वे ऊंटों के लिए चारे पानी से लेकर दवाओं तक की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में अब उनके सामने ऊंटों को बेचकर घर चलाने जैसी नौबत आ गई है।
सरकार ने मुंह फेरा
सरकार ने ऊंट पालकों के लिए भामाशाह पशु बीमा योजना बंद कर दी। इसके बाद से राज्य के पशुपालक आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। मौजूदा सरकार के ध्यान नहीं देने के कारण अब प्रदेश में इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही हैं। रैबारी समाज के सभागीय महामंत्री रामभगत रैबारी ने बताया कि बून्दी जिले में करीब 20 गांव के रैबारी समाज के पशुपालकों की आजीविका का मुख्य साधन केवल ऊंटपालन है। राज्य सरकार ने भामाशाह पशु बीमा योजना के अन्तर्गत मिलने वाली 2018 की बकाया दो किस्ते भी नहीं दी है।
सरकारी योजना बंद, सहायता को तरसे
ऊंट पालक विनोद, भैरूलाल, रामचरण, मोजीराम,बद्री लाल आदि ने बताया कि भामाशाह पशु बीमा योजना के अन्तर्गत हर पशु का बीमा होता था व खासतौर पर राज्य पशु ऊंटनी के गर्भवती होने के बाद से लेकर प्रसव तक तीन किस्तों में ऊंट पालक को 10 हजार दिए जाते थे। इस योजना का नाम टोडिया योजना था। साथ ही ऊंटनी का बीमा भी किया जाता था, लेकिन मार्च 2019 से राज्य सरकार ने भामाशाह बीमा योजना को बंद कर दिया है।

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