महानगरों से पलायन कर आए व स्थानीय मजदूरों को गांवों में तो मनरेगा सहारा बनी हुई है। इधर, शहरी मजदूरों के लिए ईंटों के निर्माण के लिए मिट्टी खुदाई का कार्य उनके लिए सहारा बन गया।
बूंदी•Jun 04, 2020 / 11:56 am•
Narendra Agarwal
शहरी मजदूरों के लिए ईंट निर्माण के लिए मिट्टी की खुदाई बनी सहारा
नैनवां. महानगरों से पलायन कर आए व स्थानीय मजदूरों को गांवों में तो मनरेगा सहारा बनी हुई है। इधर, शहरी मजदूरों के लिए ईंटों के निर्माण के लिए मिट्टी खुदाई का कार्य उनके लिए सहारा बन गया। शहरी क्षेत्र में मनरेगा कार्य नहीं होने से तालाब में ही मिट्टी खुदाई का कार्य करना पड़ रहा है। नैनवां नगरपालिका क्षेत्र के डेढ़ सौ से अधिक मजदूर इन दिनों नैनवां के कनकसागर तालाब में ईंट-भट्टों के लिए मिट्टी की खुदाई का काम मिल रहा है। जिससे उनको प्रतिदिन तीन सौ से चार सौ रुपए की मजदूरी मिल जाती है। तालाबों की मिट्टी से ही ईंट निर्माण होता है। बरसात में तालाब भर जाने के बाद मिट्टी उपलब्ध नहीं हो पाती। मजदूरों द्वारा खोदी जा रही मिट्टी को ईंटो के निर्माण कराने के लिए ईंट-भट्टें वाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से अपने ईंट-भट्टों पर ले जा रहे हैं। उसके बदले मजदूरों को मजदूरी का भुगतान कर रहे है। मजदूरों छोटूलाल, मोरपाल, हेमराज व गीताबाई ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही मजदूरी का काम नहीं मिल पा रहा था। ईंटों के निर्माण के लिए मिट्टी की खुदाई के काम से रोजाना तीन सौ से चार सौ रुपए मजदूरी के मिल जाती है।