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कोरोना काल में ‘गोपाल’ योजना बनी बेजुबानो का सहारा

लॉकडाउन में भूखे गोवंश व वानरों की सेवा के लिए शुरू की गई ‘गोपाल’ योजना को बूंदी में मंगलवार को 201 दिन हो गए। इस योजना में बिना सरकारी मदद सैकड़ों बेजुबानों को आहार की व्यवस्था हो सकी।

बूंदीOct 21, 2020 / 10:54 am

Narendra Agarwal

कोरोना काल में ‘गोपाल’ योजना बनी बेजुबानो का सहारा

कोरोना काल में ‘गोपाल’ योजना बनी बेजुबानो का सहारा

बूंदी. लॉकडाउन में भूखे गोवंश व वानरों की सेवा के लिए शुरू की गई ‘गोपाल’ योजना को बूंदी में मंगलवार को 201 दिन हो गए। इस योजना में बिना सरकारी मदद सैकड़ों बेजुबानों को आहार की व्यवस्था हो सकी। इसकी शुरुआत सामाजिक सरोकार से जुड़े रहने वाले कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा की पहल पर शुरू की थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार योजना में शुरुआती पांच माह तक दो चारा गाडिय़ों में एक हजार के लगभग गोवंश व सैकड़ों वानरों को जन सहयोग से आहार की व्यवस्था करवाई गई। अब बाजार के पूरी तरह खुलने व कई स्थानों पर चारा डालना शुरू होने के बाद एक चारा गाड़ी में विभिन्न स्थानों पर सैकड़ों गोवंश को हरा चारा व चौथमाता बाणगंगा क्षेत्र में बंदरों को सब्जियां डाली जा रही। मार्च में सख्त लॉकडाउन में बाजारों में लोगों की दया पर पलने वाले सैकड़ों गोवंश भूख से व्याकुल हो उठे थे, तब श्रद्धालुओं का आवागमन बंद होने से चौथ माता बाणगंगा क्षेत्र के सैकड़ों वानर चीत्कारने लगे थे। बेजुबान पशु पक्षियों की यह हालत देखकर 29 मार्च को जन सहयोग से गोपाल योजना की शुरुआत की।
गोपाल माहेश्वरी, पंकज भाटिया, नितेश शर्मा, सर्वदमन शर्मा, विष्णु कुमावत, महेश सोनी, अंकित जैन, प्रदीप श्रीमाल, अमन सोनी, कालूलाल बागोरिया, रमेश सैनी आदि लोग नियमित इस सेवा से जुड़े जो दूसरे लोगों के लिए भी अनुकरणीय रही।

जब चारा लाने वाले ही बंद हुए
लॉकडाउन की पालना में 27 मार्च को ऑटो में चारा ला रहे दयाराम सैनी से बहादुर सिंह सर्किल चारा बिखेरकर मारपीट हुई तो सभी चारा लाने वालों ने चारा लाना ही बंद कर दिया। इस विकट परिस्थिति में गोसेवक व चारा वाले कांग्रेस नेता शर्मा से मिले। तब प्रशासन से मिला गया। पूर्व राज्यमंत्री हरिमोहन शर्मा की मध्यस्थता से फिर चारा पहुंचना शुुरू हुआ। यह सिलसिला अब तक जारी रहा।

पूरे शहर ने सराहा
कोरोना काल में गोवंश और बंदरों के लिए शुरू किए गए इस कार्य को पूरे शहर ने सराहा। कई सामाजिक संगठन और सेवाभावी लोग इस अभियान का हिस्सा बने।

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