कोरोना महामारी से हर कोई बेहाल रहा। मरीजों से अस्पताल फुल रहे। मरीजों को भर्ती कराने से लेकर ऑक्सीजन के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कोरोना की दूसरी लहर में जंग में क्या चुनौतियां सामने आई? संभावित तीसरी लहर से निपटने की क्या तैयारियां है? इन सवालों को लेकर जिला कलक्टर आशीष गुप्ता से साक्षात्कार लिया हमारे संवाददाता नागेश शर्मा ने। पेश है बातचीत के अंश…
बूंदी•Jun 19, 2021 / 09:18 pm•
पंकज जोशी
घट रहे मरीज, बढ़ रही रिकवरी रेट टूट रही कोरोना की चैन
घट रहे मरीज, बढ़ रही रिकवरी रेट टूट रही कोरोना की चैन
साक्षात्कार : बूंदी जिला कलक्टर
बूंदी. कोरोना महामारी से हर कोई बेहाल रहा। मरीजों से अस्पताल फुल रहे। मरीजों को भर्ती कराने से लेकर ऑक्सीजन के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कोरोना की दूसरी लहर में जंग में क्या चुनौतियां सामने आई? संभावित तीसरी लहर से निपटने की क्या तैयारियां है? इन सवालों को लेकर जिला कलक्टर आशीष गुप्ता से साक्षात्कार लिया हमारे संवाददाता नागेश शर्मा ने। पेश है बातचीत के अंश…
जिले में क्या व्यूह रचना की, जिससे कोरोना के एक्टिव केस घटते गए?
लॉकडाउन की सख्ती से पालना कराई गई। घर-घर सर्वे पर जोर दिया गया। बाजारों को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन की पूरी पालना कराई गई। शादियों में गाइड लाइन की पालना कराई गई। सौ से अधिक शादियां समझाइश के बाद निरस्त कराई गई। 35 नर्सिंग विद्यार्थियों की भी मदद ली।
गांवों में संक्रमण को कैसे नियंत्रित करेंगे? अब तक क्या प्रयास किए?
पहले गांवों से मरीज सीधे जिला मुख्यालय के चिकित्सालय में आ रहे थे। फिर माइक्रो कंटेंटमेंट जोन बनाए। ईसीटी (एंटी कोविड टीम) बनाई गई। मेडिकल टीम ने घर-घर जाकर सर्वे किए। लोगों को होम आइसोलेट कराकर इलाज शुरू कराया गया। इसके परिणाम रहे कि गांवों में संक्रमण को नियंत्रित करने में कामयाब हो सके।
जिला अस्पताल में मरीजों को भर्ती नहीं करने की शिकायतें रही?
यह अधिक समय के लिए नहीं रहा। एक दिन कुछ घंटों में यह बात सामने आई थी। तब बेड ही उपलब्ध नहीं रहे थे। जिला चिकित्सालय में मरीजों की संख्या बेड से अधिक हो गई थी। हालांकि इस स्थिति को कुछ ही समय में नियंत्रित कर लिया था। फिर सीएचसी स्तर पर भी इलाज शुरू कराया।
गांवों में कोविड जांच की सुविधा कैसी है? क्या अब भी मरीज रैफर हो रहे हैं।
जिले में सीएचसी स्तर पर सबसे ज्यादा कोविड सेन्टर खोलकर बेहतर उपचार के बंदोबस्त किए गए हैं। सीएचसी के कोविड सेन्टर की रिकवरी रेट बहुत अच्छी है। इसके लिए डॉक्टर्स की टीम साधुवाद की पात्र है। यह सुखद बात है कि मरीजों को जिला अस्पताल नहीं आना पड़ रहा है।
जिले में ऑक्सीजन की उपलब्धता की स्थिति क्या है? भविष्य में क्या रहेगी।
ऑक्सीजन की अब मारामारी कतई नहीं रही। बूंदी जिला मुख्यालय पर 35 सिलेण्डर प्रतिदिन भरने का प्लांट पहले से लगा हुआ है। 65 सिलेण्डर और भरने का प्लांट का काम जिला चिकित्सालय में शुरू हो गया जो भी जून माह के अंत तक पूरा हो जाएगा। जिले में ऑक्सीजन की स्थिति बेहतर हो गई।
जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की स्थिति, रिकवरी रेट कैसी है?
दिनोंदिन मरीजों की संख्या घट रही है। रिकवरी रेट 99.6 हो चुकी। यानी पॉजिटिव केस मिलने का सिलसिला फिलहाल शून्य पर आ गया। इसके लिए जिले में पूरी चिकित्सा टीम ने मिलकर प्रयास किए हैं।
जिले में ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति कैसी है। आत्मनिर्भर कब तक होंगे।
जिला मुख्यालय पर 100 सिलेंडर रोज का प्लांट हो जाएगा। नैनवां सीएचसी पर राज्य सरकार की ओर से प्लांट लगेगा। देई व हिण्डोली में राज्यमंत्री अशोक चांदना ने ओर डाबी में बूंदी विधायक अशोक डोगरा ने विधायक कोष से अनुशंसा की है। जिले में 500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हो गए। ऑक्सीजन की अब दिक्कत नहीं रही।
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की क्या तैयारी चल रही है।
दूसरी लहर में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के साथ कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे के लिए तैयारी शुरू कर दी है। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 100 बेड तैयार करने का काम शुरू कर दिया। अति कुपोषित बच्चों का सर्वे करा रहे हैं। एनिमिक बच्चों को चिह्नित कर लिया। आइरन की गालियां दे रहे हैं।
जनता, भामाशाह और जनप्रतिनिधियों के सहयोग पर क्या कहेंगे?
महामारी में जनता और जनप्रतिनिधियों ने पूरा सहयोग दिया है। यह सिलसिला बना रहना चाहिए। सामाजिक संस्थाओं व स्वयं सेवकों के सहयोग से खाद्यान्न के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाओं में भी फायदा मिला है। शहर के लोगों ने भी इसमें पूरी मदद की है। गाइड लाइन की पूरी पालना की गई।
महामारी से मुकाबला अभियान है पत्रिका की सराहनीय पहल?
जिला कलक्टर ने कहा कि राजस्थान पत्रिका ने आपदा की इस घड़ी में महामारी से महामुकाबला अभियान चलाकर लोगों से सेवा कार्य का आह्वान किया। इसका सकारात्मक और सार्थक परिणाम यह हुए कि लोग और सामाजिक संगठन मदद को आगे आए। अस्थि विसर्जन तक के काम हाथ लिए।
मौत के आंकड़ों के सवाल पर क्या कहेंगे?
जिले में डेथ ऑडिट हुआ है। सरकार की योजना का लाभ मिले, इसके लिए संबंधित विभागों ने सर्वे शुरू कर दिए। डेथ ऑडिट में सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।