इलाके में हुई कम बरसात के चलते खेतों में फसलें सूखने लग गई हैं। ऐसे मे कई काश्तकारों ने अपने खेतों खडी फसलों को ही हंकवाना शुरू कर दिया है।
बूंदी•Sep 23, 2020 / 07:01 pm•
पंकज जोशी
पानी के अभाव में खेतों में सूख रही फसलें
पानी के अभाव में खेतों में सूख रही फसलें
फसलों मे चरने के लिए खुले छोड़े मवेशी
काश्तकारों के प्रतिनिधिमण्डल ने फसल बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि को दिखाए हालात
गेण्डोली. इलाके में हुई कम बरसात के चलते खेतों में फसलें सूखने लग गई हैं। ऐसे मे कई काश्तकारों ने अपने खेतों खडी फसलों को ही हंकवाना शुरू कर दिया है। तो कुछ ने खडी फसलों में ही मवेशियों को चरने छोड़ दिया। काश्तकार हेमराज सैनी, महावीर मोदी, चन्द्रप्रकाश नामा, नन्दकिशोर सैनी आदि ने मंगलवार को कृषि पर्यवेक्षक संजिदा खान व फसल बीमा प्रतिनिधि जितेन्द्र कुमार मीणा व राजेन्द्र कुमार को गेण्डोली व गेण्डोली खुर्द की झोंपडियां गांवो के खेतों मे ले जाकर वहां सूख रही उडद, सोयाबीन की फसलो एवं खडी फसलों चर रहे मवेशियों को दिखाया। सभी ने पीडि़त काश्तकारों को जल्द मुआवजा राशि दिलवाने का आग्रह किया।
प्रतिनिधिमण्डल ने बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों को समूचे गेण्डोली फोलाई क्षेत्र मे सूखे के कारण सौ प्रतिशत फसलें बर्बाद होने से अवगत कराया।
उम्मीदों का बीज, जमीन में दफन
बड़ाखेड़ा. क्षेत्र के कई गांवों में बारिश न होनै की वजह से सूखे जैसे हालात नजर आ रहें हैं। सोयाबीन उडद की फसल को बारिश का इन्तजार था, लेकिन बारिश के अभाव मे फसलों ने खेत में ही दम तोड़ दिया। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही है। इसका सीधा असर जुवारा काश्त पर खेती करने वाले किसानों पर अधिक नजर आ रहा है। किसानों ने बताया कि की बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड रही हैं। सोयाबीन की फसल खेतों में सूख चुकी है। कहीं सोयाबीन उगा ही नहीं, जहां उगा वहां किसानों ने ट्रेक्टर चलाकर हांक दिया है। बड़ाखेड़ा क्षेत्र के के खेत खाली पड़े हैं। किसान हनुमान सिंह बडाखेडा, जाडला के गिरिराज मीणा, पापडी के महावीर मीणा, बसवाडा के रिकू मीणा ने बताया कि बड़ाखेड़ा, पापडी, जाडला, बसवाडा, माखीदा, पीपल्दा, थाग, सामारा, काकरामेज, पाली आदि गांवों में बिना संसाधन वाले किसान भी हैं, जो केवल मानसून की बारिश पर ही निर्भर हैं।