कोरोना काल में धार्मिक नगरी जन-जन की आस्था का केंद्र बन चुकी है। प्रदेश के कई लोग अब हरिद्वार की जगह धार्मिक नगरी में अस्थियां विसर्जन करने पहुंच रहे हैं।
बूंदी•Sep 19, 2020 / 06:54 pm•
पंकज जोशी
कोरोना काल में चर्मण्यवती बनी मोक्षदायिनी
कोरोना काल में चर्मण्यवती बनी मोक्षदायिनी
केशवरायपाटन. कोरोना काल में धार्मिक नगरी जन-जन की आस्था का केंद्र बन चुकी है। प्रदेश के कई लोग अब हरिद्वार की जगह धार्मिक नगरी में अस्थियां विसर्जन करने पहुंच रहे हैं।
बूंदी जिले के गूवाडी़ गांव के कन्हैयालाल मीणा की धर्मपत्नी कंचनबाई का आकस्मिक निधन हो जाने के बाद तीये की रस्म कर मृतका की अस्थियां विसर्जन हेतु हरिद्वार न जाकर अपने पास के जलाशय चम्बल नदी में विसर्जन की हैं। सामाजिक संस्था बून्दा आदिवासी मीना (मीणा) समाज संस्था बून्दी , क्षेत्र राजस्थान तथा अन्य सामाजिक संगठनों की समझाइश पर मृतक के परिवार जनों ने हरिद्वार जाने जेसी खर्चीली परम्परा को बन्द किया। यह सभी समाजो के लिए लाभकारी व वरदान साबित होगी। समाजसेवी संस्थाओं की समझाइश पर परिवार जनो ने गरूड़ पुराणपाठ, मृत्युभोज, पहरावनी, बर्तन-वितरण आदि अनावश्यक खर्चा न कर मृत्युभोज नहीं करने का संकल्प लिया। अस्थियां विसर्जन के मौके पर मृतक के परिवार जन सहित समाजसेवी विजय राज मीणा, बुद्धि प्रकाश मीणा,हनुमान मीणा, रामस्वरूप मीणा, श्रवणलाल मीणा, सीताराम राजवंशी,जितेन्द्र शामिल हुए।