कोरोनाकाल में जीवन दायिनी बनी 108 व 104 एम्बुलेंस
प्रदेश में एकीकृत एम्बुलेंस सेवा 108 व 104 इमरजेंसी सेवा मरीजों के लिए कोरोना काल में संजीवनी बनकर आई। इस वायरस से हर व्यक्ति एक-दूसरे से दूर भागने की कोशिश कर रहा था, उस दर्मियान इस एंबुलेंस सेवा के कार्मिकों ने प्रदेश के करीब एक लाख से अधिक कोरोना संदिग्ध मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई।

कोरोनाकाल में जीवन दायिनी बनी 108 व 104 एम्बुलेंस
प्रदेश में करीब एक लाख कोरोना संदिग्ध मरीजों को पहुंचाया अस्पताल
बूंदी में एम्बुलेंस से 14 हजार मरीजों को पहुंचाया अस्पताल
बूंदी. प्रदेश में एकीकृत एम्बुलेंस सेवा 108 व 104 इमरजेंसी सेवा मरीजों के लिए कोरोना काल में संजीवनी बनकर आई। इस वायरस से हर व्यक्ति एक-दूसरे से दूर भागने की कोशिश कर रहा था, उस दर्मियान इस एंबुलेंस सेवा के कार्मिकों ने प्रदेश के करीब एक लाख से अधिक कोरोना संदिग्ध मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई। 24 घंटे मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाकर उपचार दिलाने के लिए एंबुलेंस सडक़ों पर दौड़ती नजर आ रही। इसके अलावा विभिन्न बीमारियों, दुर्घटनाओं के 6 लाख 83 हजार 904 मरीजों को विभिन्न अस्पंतालों में जीवनदायिनी कही जाने वाली एम्बुलेंस ने प्रदेश भर में भर्ती कराया। बूंदी जिले में 14 हजार 267 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया।
अपने संक्रमण की परवाह किए बगैर ही ईएमटी एवं पायलट बेहतर सेवा देते हुए प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवा रहे। 24 घंटे मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाकर उपचार दिलाने के लिए एंबुलेंस सडक़ों पर दौड़ा रहे। एक मार्च से 4 सितम्बर तक 1 लाख 125 कोरोना के संदिग्ध मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। स्टेट हेड प्रवीण सांवत ने बताया कि संदिग्ध कोरोना के मरीजों को एंबुलेंस कर्मचारी क्वॉरंटाइन सेंटर पर पहुंचा रहे। इसके अलावा दुर्घटनाओं में घायल हुए व्यक्ति, गर्भवती सहित गंभीर रोगियों को भी अस्पताल पहुंचा रहे।
बूंदी में 25 एंबुलेंस ने पहुंचाया अस्पताल
दुर्घटनाओं में घायल, गंभीर बीमारियों से ग्रसित, गर्भवती सहित अन्य मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए प्रदेश में 1362 एंबुलेंस संचालित की जा रही। जबकि बूंदी में 26 एंबुलेंस बताई। जिले में कोरोना के 697 संदिग्ध मरीजों को कोविड केयर सेंटर एवं विभिन्न बीमारियों के 13570 मरीजों को अस्पताल तक एम्बुलेंस की मदद से पहुंचाया।
कोरोना का खौफ भूलकर सावधानी से डटे
कोरोना वायरस का संक्रमण मार्च महिने में शुरू होने के बाद लॉकडाउन कर सबकुछ बंद कर दिया। जहां सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं को अनुमति दी गई थी, वहीं कोरोना वायरस की दहशत के चलते लोगों ने एक-दूसरे के नजदीक जाना बंद कर दिया था। ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी पर डटे रहे, जिन्होंने कोरोना के खौफ को भूलकर पूरी सावधानी से जुटे रहे।
सूचना मिलते ही तुरंत एंबुलेंस पहुंचाने की पहली प्राथमिकता रही। जहां लोग एक-दूसरे के नजदीक आने से घबराते थे। वहीं कोरोना काल में एंबुलेंस का स्टॉफ पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना मरीज हो या अन्य दुर्घटना में घायल व्यक्ति को केयर सेंटर व अस्पताल पहुंचाने में जीवनदायिनी साबित हो रही।
दीपेंद्र सिंह राठौर, डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर, जीवीके, बूंदी
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