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बूंदी

सर्द रात में ठिठुर रहे तन, बेसहारों को नहीं मिला सहारा

सर्द रातें अब आमजन को ठिठुराने लगी है। रात को गलन से कंपकंपाते तन और उस पर खुले में सोने की मजबूरी।

बूंदीDec 15, 2019 / 01:23 pm

पंकज जोशी

सर्द रात में ठिठुर रहे तन, बेसहारों को नहीं मिला सहारा

सर्द रात में ठिठुर रहे तन, बेसहारों को नहीं मिला सहारा

बूंदी. सर्द रातें अब आमजन को ठिठुराने लगी है। रात को गलन से कंपकंपाते तन और उस पर खुले में सोने की मजबूरी। यह हालात हैं शहर में सडक़ों पर सोने वाले बेसहारा लोगों के। एक ओर जहां तेज गलन व सर्दी के कारण लोग रात को घरों में कैद हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर कई बेसहारा खुले आसमां तले सर्द रातों में हवाओं के थपेड़े झेलने को मजबूर है। शहर में बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरे बने हुए हैं, लेकिन इन लोगों को रैन बसेरों के बारे में जानकारी नहीं है। कहने को तो नगर परिषद ने रैन बसेरे शुरू करवाए हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में इसके बारे में लोगों को पता तक नहीं है। वहीं कुछ रैन बसेरों पर ताले लगे मिले। जिससे यह लोगों के काम नहीं आ पा रहे। राजस्थान पत्रिका की टीम ने आधी रात के बाद शहर की सडक़ों पर पहुंच कर बेसहारों के हालात जाने तो अधिकांश लोग एक कम्बल के सहारे सर्दी से बचाव करते नजर आए।
दुकानों के सामने ली शरण
शहर के अस्पताल, रेलवे स्टेशन के निकट, बस स्टैंड पर बेसहारों लोगों ने रात गुजारने के इंतजाम कर रखे थे। यहां अधिकांश लोग दुकानों के बाहर कम्बल में रात गुजारते हुए नजर आए। सर्द हवाओं में ना तो इनका कोई घर था और ना ही कोई रखवाला देखने को मिला। इनमें कई जने ऐसे भी मिले जो आस-पास के गांवों से मजदूरी के लिए बूंदी आते हैं। रात में रुकने का कोई ठिकाना नहीं होने से कहीं भी सो जाते हैं।
बिना आधाड कार्ड के नहीं घुसने देते
बसोली के प्रभुलाल ने बताया कि रैन बसेरा दूर होने के चलते दिहाड़ी मजूदी करके यहीं दुकानों के बाहर सो जाते है। वहीं रामनाथ ने बताया कि रैन बसेरे में जाते है तो वहां बिना आधार कार्ड के घुसने नहीं देते है। इसलिए सर्द हवाओं में जहां ठौर मिलती है वहीं रात गुजार लेते है। ठेले पर सोते मिले रामलाल ने बताया कि मजदूरी करके रात में लेट हो जाने से साधन नहीं मिलते हैं। इसके चलते खुले में सो जाते है। देवली से आए नरेश, प्रमोद व सुरेश ने रैन बसेरे की जानकारी नहीं होना बताया।
यहां पर लटका मिला ताला
शहर में नगर परिषद की ओर से चार रैन बसेरे संचालित है। ऐसे में इन रैन बसेरों में समय से पहले ताले लग जाने से बेसहारा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ जाता है। लंकागेट पर स्थित रैन बसेरा में रात को 11.15 पर ताला लटका लगा मिला। अंदर लाइट जल रही थी। कुंभा स्टेडियम में स्थित आश्रय स्थल पर भी ताला लगा हुआ मिला। बस स्टैंड के आस-पास कोई रैन बसेरा संचालित नहीं होता है। इससे लोगों को ज्यादा परेशानी होती है।

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