बूंदी ब्रांच : केनाल में नाम मात्र की हुई सफाई
रामगंजबालाजी. बूंदी ब्रांच केनाल से जुड़ी वितरिकाओं व मायनर की सफाई का कार्य 5 दिन में कैसे होगा, इस बात को लेकर संशय पैदा हो गया।
केनाल के अभी हाल जलप्रवाह शुरू करने जैसे नहीं हुए। केनाल से जुड़ी वितरिकाओं व माइनरों के हालात भी ठीक नहीं रहे। अंधेड़, दौलाड़ा, ओंकारपुरा, खटकड़, रायता, लालपुरा, कुआंरती, गोवर्धनपुरा, दयालपुरा, माटंूदा, किशनपुरा की स्थिति जर्जर हो रही। इन वितरिकाओं व माइनरों में कई जगह पर कराए गए पक्के निर्माण धराशायी हो गए। जिले के प्रभारी मंत्री ने दस अक्टूबर से किसानों को देखते हुए नहरों में पानी छोडऩे की घोषणा तो कर दी, लेकिन इन बूढी नहरों की दशा सुधारने की ओर जिम्मेदारों की नजर नहीं जा रही। किसानों की माने तो कई जगहों पर उगे बबूल तक नहीं हटे। किसानों से खरीफ की फसल को बचाने के लिए कई स्थानों पर ओहड़े लगा रखे जिनकी सफाई नहीं हो रही। ऐसे में रबी की फसल के लिए छोड़ा जाने वाले पानी को लेकर किसान चिंतित रहेंगे। वर्तमान समय में नहरों की सफाई नहीं हुई तो इनसे जुड़े टेल क्षेत्र में पानी पहुंचाना प्रशासन के लिए चुनौती भरा होगा। किसानों ने बताया कि इस बार पर्याप्त पानी नहीं बरसा, ऐसे में अधिक पानी की मांग होगी। जानकार सूत्रों ने बताया कि नरेगा श्रमिकों को लगातर नहरों की सफाई का काम बढ़ाया जाना चाहिए।
व्यवस्थित तरीके से नहरों को चलाया जाएगा।
शैलेन्द्र व्यास, अधिशासी अभियंता, सीएडी
करोड़ों खर्च फिर भी नहीं सुधेरे हालात
बडाखेडा. टेल क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान आज भी खेती पर निर्भर है। इस बार मानसून ने धोखा दे दिया, खरीफ की फसल तो हुई नहीं, लेकिन रबी की फसल से कुछ उम्मीद लगाए बैठे हैं। टेल क्षेत्र के गांवों में नहर की स्थिति बेहद खराब ही नहीं चिंता जनक है। क्योंकि नहरों की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट खर्च होने के बाद भी हालात नहीं सुधरे। किसानों की माने तो सीएडी विभाग नहरों पर ध्यान नहीं दे रहा। बीते वर्ष भी काम उस वक्त कराए गए जब नहरों में पानी छोड़ा जाना था। ऐसे में ठेकेदारों ने घटिया काम कर इतिश्री कर ली। बाद में काम के पानी में बहने का अभियंता बहाना बनाते रहे। अभी कई स्थलों पर तो विलायती बबूल और झाडिय़ां उग आए। अन्तिम छोर तक अभियंता सफाई का भले दावा करें, लेकिन हालात किसी से छिपे नहीं।