ज्योति के मुम्बई के बार और अन्य कई स्थानों पर काम किया। उसे 12 साल की उम्र में ही मध्यप्रदेश के सोयत भेज दिया था। फिर मुम्बई के बार में रखा। फिर घांसमंडी में भी इस दलदल में काम किया। फिर दोबारा मुम्बई भेज दिया।
युवती से गांव का ही आकाश शादी रचाने को तैयार हो गया। उन्होंने ग्वालियर आर्य समाज में शादी भी कर ली, लेकिन इसे युवती के परिजन नहीं मान रहे। उसे आए दिन धमका रहे बताए।
परिजनों की बात नहीं मानी तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर उसे नाबालिग बना दिया। अपहरण का मुकदमा थाने में दर्ज करा दिया। बाद में उसे पुलिस की मदद से पकडऩे में कामयाब भी हो गए। लेकिन जब युवती को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया तो सारा घटनाक्रम उजागर हो गया। समिति की टीम ने इस मामले को गंभीरता से लिया और युवती का दर्द जाना। जिसमें उसने न सिर्फ अपनी पीड़ा बताई बल्कि असल दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। मेडिकल कराया, जिसमें उसके बालिग होने की पुष्टि हुई। समिति की अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने इसे गंभीरता से लिया।