23 जुलाई से चार महीने तक शहनाइयों की गूंज सुनाई नहीं देगी। 23 को देवशयनी एकादशी पर देव सोने जा रहे हैं, इस कारण चातुर्मास के दौरान विवाह तथा अन्य शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। सनातन परंपरा में यह मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह तक क्षीर सागर में विश्राम करते हैं, ऐसे में सृष्टि की बागडोर भगवान महादेव संभालते हैं।
23 जुलाई को देव सोने के बाद देवउठनी एकादशी पर 19 नवंबर को जागेंगे। इस बार अधिकमास पडऩे के कारण देव एक महीने देरी से सोएंगे, वहीं चातुर्मास के दौरान पडऩे वाले तीज-त्योहार भी 15 दिन देरी से आएंगे।
देवशयन काल में विवाह नहीं होंगे
ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया 23 जुलाई देव शयनी एकादशी से 19 नवंबर तक देवशयन काल में विवाह व मांगलिक कार्य नहीं होंगे। देव उठनी एकादशी से विवाह के मुहूर्त शुरू होते हैं, लेकिन इस बार गुरु का तारा 12 नवंबर से अस्त हो जाएगा, जो 7 दिसंबर को उदय हेग।
16 दिसंबर से धनु का मलमास लग जाएगा। जो 14 जनवरी 2019 तक रहेगा। ऐसे में विवाह की मुहूर्तों की कमी रहेगी। प बंशीधर पंचाग के अनुसार 12,13 दिसंबर का सावा रहेगा। हालांकि पंचांगों में मुहूर्त अलग-अलग भी हो सकते हैंं।